इस समय कलयुग चल रहा है और आपके दिमाग में ये सवाल जरूर आया होगा कि कलयुग के बाद कौनसा युग आएगा। आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं। लेकिन इस से पहले आपको युग और तिथि को समझना होगा। एक युग तब खत्म होता है जब सूर्य और चंद्र के बीच देशांतरीय कोण बारह अंश बढ़ जाता है। तिथियाँ दिन में किसी भी समय आरम्भ हो सकती हैं और इनकी अवधि उन्नीस से छब्बीस घंटे तक हो सकती है।

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शुक्ल और कृष्ण पक्ष मिलाकर दो पक्ष का एक महीना होता है और 2 माह की एक ऋतु और इस तरह तीन ऋतुएँ मिलकर एक अयन बनता है और दो अयन यानी उत्तरायन और दक्षिणायन। 2 अयनों से 1 साल पूरा होता है।

15 मानव दिवस मिलकर एक पितृ दिवस बनता है यही एक पक्ष है। 30 पितृ दिवस का एक पितृ मास कहलाता है। 12 पितृ मास का एक पितृ वर्ष। यानी पितरों का जीवनकाल 100 का माना गया है तो इस मान से 1500 मानव वर्ष हुए।

(1) 4,800 दिव्य वर्ष अर्थात एक कृत युग (सतयुग)। मानव वर्ष के मान से 1728000 वर्ष।

(2) 3,600 दिव्य वर्ष अर्थात एक त्रेता युग। मानव वर्ष के मान से 1296000 वर्ष।

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(3) 2,400 दिव्य वर्ष अर्थात एक द्वापर युग। मानव वर्ष के मान से 864000 वर्ष।

(4) 1,200 दिव्य वर्ष अर्थात एक कलि युग। मानव वर्ष के मान से 432000 वर्ष।

सत्य युग : वर्तमान वराह कल्प में हुए कृत या सत्य को 4800 दिव्य वर्ष का माना गया है।

त्रेतायुग : त्रेतायुग को 3600 दिव्य वर्ष का माना गया है। इसे मानवकाल का द्वितीय युग भी कहा जाता है और इसकी समाप्ति राम के देहांत से होती है।

द्वापर : मानवकाल के तृतीय युग को द्वापर कहते हैं। इसकी समाप्ति कृष्ण के देहान्त से होती है।

कलियुग : कलियुग चौथा युग है। 1200 दिव्य वर्ष का एक कलियुग माना गया है। महाभारत युद्ध 3137 ई.पू. में हुआ था। इस युद्ध के 35 वर्ष पश्चात देहान्त हुआ इसके बाद कलयुग की शुरुआत हुई।

अभी कलयुग चल रहा है और कलयुग की समाप्ति के बाद फिर से सतयुग की शुरआत होगी।

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