Travel tips: 300 लोगों की आबादी का वो गांव जिसे कहते है संस्कृत विलेज, जानिए क्यों ?
वैसे तो भारत में कई भाषाएं बोलो जाती है और यहीं भारत की पहचान भी है कहते है भारत में हर चार किलोमीटर में बोली बदल जाती है भारत में संस्कृत बोलने का भी खास चलन है और लोग संस्कृत बोलना भी बेहद पसंद करते है आज भी संस्कृत भाषा को बोलने और सीखने वाले लोग मौजूद है पहले की किताबे संस्कृति में ही लिखी जाती थी लेकिन अब चलन बदला है।
भारत में आज भी ऐसी जगह मौजूद है जिस गांव ने संस्कृत भाषा और उसकी परंपरा को आज भी जिंदा रखा है इस गांव मं संस्कृत बोली और सिखाई जाती है ये अपने आप में बेहद ही खास बात है अगर आप संस्कृत भाषा और संस्कृत भाषा बोलने वाले लोग देखना चाहते है तो आप मट्टूर गांव जाये ये गांव बेहद खास है
मट्टूर गांव कर्नाटक के शिमोगा में मौजूद है इस गांव की यही पहचान भी है इस गांव मं कुल 300 परिवार रहते है जहां के बच्चों से लेकर बडे हर कोई संस्कृत बोलता है आपको यहां संस्कृति की चमक साफ नजर आएगी इस गांव ने संस्कृत भाषा को जिंदा रखा है इस स्कूल में पढाई भी संस्कृत भाषा में ही होती है
संस्कृत बोलने के कारण इस गांव को संस्कृत विलेज के नाम से जाना जाता है और यहीं इस गांव की खास पहचान भी है दूर दूर से लोग इस गांव में आते है यहां लोग संस्कृत भी सीखते है तो इस गांव के कल्चर से रबरु होते है यहां संस्कृत भाषा सीखाने के लिए ट्रैनिंग दी जाती है और कैंप भी आयोजित किए जाते है।