आज भी बिठूर शहर को किसी और के साथ नहीं बल्कि रानी लक्ष्मी बाई के जीवन से ज़रूर जोड़कर देखा जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रानी लक्ष्मी बाई और बिठूर शहर का एक गहरा संबंध है। यह भारतीय इतिहास के सबसे गौरवपूर्ण शहरों में से भी एक है। आज इस लेख में हम आपको बिठूर में मौजूद कुछ बेहतरीन जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां घूमने के साथ-साथ लजीज पकवान का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं। आइए जानते हैं इन जगहों के बारे में विस्तार से -

1. नानाराव मेमोरियल पार्क :

बिठूर में मौजूद नानाराव मेमोरियल पार्क एक ऐतिहासिक स्थल है।

इस पार्क में एक म्यूजियम भी है जहां आप घूमने के लिए जा सकते हैं। म्यूजियम की दीवारों पर रानी लक्ष्मी बाई और सती घाट को दर्शाती पेंटिंग्स भी बनी हुई हैं। कहा जाता है कि रानी लक्ष्मी बाई का बचपन इसी पार्क में बिता था। जैसे ही इस पार्क में इंटर करते हैं वैसे ही रानी लक्ष्मी बाई की एक बड़ी प्रतिमा दिखाई देती है।

2. ध्रुव टीला :

बिठूर में घूमने के लिए ध्रुव टीला भी एक बेहतरीन जगह है। गंगा के किनारे पर मौजूद होने के चलते यह घूमने के लिए भी एक बेहतरीन जगहें हैं। यह एक स्मारक है जिसका उल्लेख पौराणिक कथा में भी है। लोक कथा के अनुसार ध्रुव टीला वहीं स्थल है जहां बालक ध्रुव ने भगवान विष्णु की तपस्या की थी और भगवान विष्णु के प्रसन्न होकर ध्रुव को एक अमर तारा बनने का वरदान दिया था। इसके अलावा बिठूर में आप रानी लक्ष्मीबाई घाट, पत्थर घाट और वाल्मीकि आश्रम भी घूमने के लिए जा सकते हैं।

3. ब्रह्मावर्त घाट :

बिठूर में मौजूद ब्रह्मावर्त घाट का पौराणिक तथ्य बेहद ही दिलचस्प है। इस घाट को लेकर मान्यता है कि कोई भी इंसान इस घाट में स्नान करके मंदिर दर्शन के लिए जाता है तो मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इस प्रसिद्ध घाट पर एक शिव मंदिर है जिसके बारे में कहा जाता है कि स्वयं ब्रह्मा जी ने शिवलिंग को इसी जगह स्थापित किया था। शिवलिंग स्थापित करने के बाद इस मंदिर को श्री ब्रह्मेश्वर महादेव मन्दिर कहा जाने लगा है। यह घूमने के लिए भी एक बेस्ट जगह है।

* बिठूर और रानी लक्ष्मी बाई का संबंध :

बिठूर में घूमने की बेहतरीन जगहों के बारे में जानने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर रानी लक्ष्मी बाई और बिठूर शहर के बीच क्या संबंध है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रानी लक्ष्मी बाई ने अपना बचपन इसी जगह गुजारा था। यह शहर कई पौराणिक तथ्यों के लिए भी प्रसिद्ध है। जी हां, यह कहा जाता है कि सीता को राम ने इसी स्थान पर त्यागा था। इतिहास में बिठूर सन 1857 के ऐतिहासिक प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र भी रहा था।

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