Train Rules- क्या आप जानते हैं ट्रेन की कैटगरी कैसे तय होती हैं, चलिए जानते हैं
दुनिया की तीसरें नबंर का रेलवे विभाग भारतीय रेलवे विभाग हैं, जिसमें हजारों ट्रेने चलती हैं और करोड़ो लोग प्रतिदिन इससे यात्रा करते हैं फिर चाहे वो छोटी और लंबी यात्रा हो। जो ना केवल किफायती हैं बल्कि आरामदायक भी होता हैं। आपने बहुत बार यात्रा की होगी लेकिन क्या आपने कभी सोचा हैं कि रेलवे एक ही मार्ग पर अलग-अलग प्रकार की ट्रेनें क्यों चलाता है, जिनमें पैसेंजर, मेल, एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनें शामिल हैं। चलिए हम आपको बताते हैं कि इन श्रेणियों के बीच में क्या अंतर होता हैं-
1. पैसेंजर ट्रेनें
उद्देश्य: छोटी दूरी के लिए डिज़ाइन की गई।
विशेषताएँ: मुख्य रूप से सामान्य श्रेणी के कोच होते हैं।
स्टॉप: बड़े और छोटे दोनों तरह के हर स्टेशन पर बार-बार रुकती हैं।
गति: बार-बार रुकने के कारण आम तौर पर कम गति से चलती हैं।
2. मेल ट्रेनें
नाम की उत्पत्ति: इन ट्रेनों में मेल डिलीवरी के लिए पोस्ट बॉक्स होते थे, यही वजह है कि उन्हें मेल एक्सप्रेस कहा जाता था।
वर्तमान कार्य: हालाँकि मेलबॉक्स अब मौजूद नहीं हैं, लेकिन नाम बना हुआ है।
गति और स्टॉप: लगभग 50 किमी/घंटा की औसत गति, कई स्टेशनों पर रुकती है, पैसेंजर ट्रेनों के समान लेकिन थोड़ी बेहतर शेड्यूलिंग के साथ।
3. एक्सप्रेस ट्रेनें
गति: औसतन 55 किमी/घंटा की गति से चलती हैं।
स्टॉप: मेल ट्रेनों की तुलना में कम स्टॉप, जिससे यात्रा तेज़ होती है।
उद्देश्य: उन यात्रियों के लिए आदर्श जो हर स्टेशन पर लंबे इंतज़ार के बिना अपने गंतव्य तक तेज़ी से पहुँचना चाहते हैं।
4. सुपरफ़ास्ट ट्रेनें
गति: ये ट्रेनें काफ़ी तेज़ चलती हैं, आमतौर पर 100 किमी/घंटा या उससे ज़्यादा की गति से।
स्टॉप: एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में कम स्टॉप बनाती हैं, जिससे यात्रा की दक्षता बढ़ती है।
किराया: बढ़ी हुई गति और कम स्टॉप के कारण टिकट की कीमतें ज़्यादा होती हैं।
दूरी: आमतौर पर लंबी दूरी की यात्रा के लिए इस्तेमाल किया जाता है।