भारत सरकार ने कोविशील्ड वैक्सीन के प्रोटोकॉल में बदलाव किया है। अब दो डोज के बीच की अवधि को 6 से 8 सप्ताह से बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह कर दिया गया है। कोविशील्ड के दो डोज के बीच में अवधि अधिक बढ़ाने के लिए यूके में अपनाई गई लाइफ एक्सपीरिएंस को वजह बताया है।

कैसे बढ़ाई गई अवधि?
नेशनल कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉ एन के अरोड़ा ने रिकमेंड किया था कि कोविशील्ड की दो डोज के बीच का अंतराल 6 से 8 सप्ताह से बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह कर दिया जाए। नेशनल कोविड ग्रुप की इस सलाह को नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन ने मान लिया जिसकी अध्यक्षता खुद डॉ वी के पॉल करते हैं। डॉ वी के पॉल की रजामंदी के बाद ये फैसला लिया गया है।


क्या है वैज्ञानिक मायने?
दरअसल विश्व के तीन देशों के प्रमुख विश्वविद्यालयों ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर रिसर्च की और 17 हजार लोगों पर ट्रायल किया गया। फेमस मेडिकल जनरल लेंसेट में छपी रिसर्च के मुताबिक 6 सप्ताह के बजाय 12 सप्ताह के अंदर दूसरी डोज देने से एफिकेशी 55.1 फीसदी से बढ़कर 80.3 फीसदी हो जाती है। इसके अलावा 55 साल के लोगों में 6 सप्ताह की तुलना में 12 सप्ताह के बाद दूसरी डोज दिए जाने से एंटीबॉडी की मात्रा दोगुनी पाई गई। 22 से 90 दिनों के बीच एंटीबॉडी की मात्रा 76 फीसदी देखी गई। इसका मतलब साफ़ है कि 12 हफ्ते में दूसरी डोज लेने से उसकी गुणवत्ता कम होती दिख रही है।

क्या फायदा होगा?
दो डोज के अंतराल को बढ़ाने से वैक्सीन का प्रभाव बढ़ने के साथ साथ वैक्सीन की समस्या से भी बड़ी राहत मिलेगी। सरकार उन लोगों पर ज्यादा फोकस करेगी जिन्हें पहली डोज की दरकार है।

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