होली को लेकर देश भर में उत्साह है। जिस तरह भारत में हर त्योहार मनाने के पीछे एक खास वजह होती है, ठीक वैसे ही होली को लेकर भी कई कहानियां जुड़ी हैं। वैसे तो ब्रज की होली पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इसका आनन्द लेने के लिए हर साल ​देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं। कहने को भले ही ये हिन्दू पर्व है, लेकिन मुगल शासकों ने भी अपने काल में इस पर्व को उत्साह के साथ मनाया।

मुगल शासकों ने भी अपने काल में इस पर्व को उत्साह के साथ मनाया। उनका शाही अंदाज में होली खेलना पूरी रियासत को इस पर्व के उल्लास से जोड़ देता था। उनके हर शासक के समय होली का जश्न मनाया जाता था।

शहंशाह शाहजहां के जमाने में होली को 'ईद-ए-गुलाबी' और 'आब-ए-पाशी' (रंगों की बौछार) कहा जाता था। मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के बारे में प्रसिद्ध है कि होली पर उनके मंत्री उन्हें रंग लगाने जाया करते थे।

ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के सचिव लक्ष्मीनारायण तिवारी बताते हैं कि मुगलकाल के चित्रकार अबुल हसन द्वारा बनाया जहांगीर के हरम में मनाए जाने वाली होली का एक चित्र 'जहांगीर एलबम' में लंदन के संग्रहालय में सुरक्षित है।

अकबर का जोधाबाई के साथ और जहांगीर का नूरजहां के साथ होली खेलने का वर्णन इतिहास में है। अलवर संग्रहालय के एक चित्र में जहांगीर को होली खेलते हुए दिखाया गया है।

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