बथुए का साग जितना अधिक से अधिक सेवन किया जाए, निरोग रहने के लिए उपयोगी है। हालांकि ज्‍यादातर लोग इसके गुणों से अंजान हैं,लेकिन ये छोटा-सा दिखने वाला हराभरा पौधा काफी फायदेमंद है, सर्दियों में इसका सेवन कई बीमारियों को दूर रखने में मदद करता है। बथुए में आयरन प्रचुर मात्रा में होता है, बथुआ न सिर्फ पाचनशक्ति बढ़ाता बल्कि अन्य कई बीमारियों से भी छुटकारा दिलाता है।


बथुए की औषधीय प्रकृति

कब्ज : बथुआ आमाशय को ताकत देता है, कब्ज दूर करता है, बथुए की सब्जी दस्तावर होती है, कब्ज वालों को बथुए की सब्जी नित्य खाना चाहिए। कुछ सप्ताह नित्य बथुए की सब्जी खाने से सदा रहने वाला कब्ज दूर हो जाता है।

पेट के रोग : जब तक मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएं। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएं, इससे पेट के हर प्रकार के रोग यकृत, तिल्ली, अजीर्ण, गैस, कृमि, दर्द, अर्श पथरी ठीक हो जाते हैं।

पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शकर मिलाकर नित्य सेवन करें तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी। जुएं, लीखें हों तो बथुए को उबालकर इसके पानी से सिर धोएं तो जुएं मर जाएँगी तथा बाल साफ हो जाएंगे।


पेशाब के रोग : बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें। बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नीबू, जीरा, जरा सी काली मिर्च और सेंधा नमक लें और पी जाएं।

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