भारत के कानून में फांसी एक सजा है में निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा दी गयी थी , वैसे आपको बता दे फांसी यानी जुडिशल हैंगिंग को 'तकनीकी मौत' इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसमें शख्स को फांसी के जरिए ऐसा झटका दिया जाता है जिससे स्पाइनल कॉर्ड ही टूट जाए, ऐसा होते ही ब्रेन को खून की सप्लाई बंद हो जाती है, और मनुष्य की मौत हो जाती है।


स्पाइनल कार्ड का फैक्चर होते ही सिर वाले भाग से बॉडी के दूसरे भाग का कनेक्शन पूरी तरह से खत्म हो जाता है, पल्स करीब 20 मिनट तक चलती रहती है, हॉर्ट चलता रहेगा जब तक उसे ब्लड सप्लाई मिलती रहेगी दिमाग तो सिर्फ हॉर्ट का कंट्रोल देखता है कि उसे कितनी देर तक चलना है। कितना तेज चलना है.,ऑक्सीजन आना जब धीरे- धीरे बंद हो जाता है, तो दिल भी धीरे-धीरे धड़कना बंद कर देता है. दिल 5 मिनट से लेकर 15 मिनट तक चलता रहता है।


ब्रेन डेथ होने पर इंसान की आधिकारिक मौत तय कर दी जाती है, शरीर के सारे अंग धीरे-धीरे डेड हो जाते हैं, दिमाग तो 5 मिनट में ही डेड कर जाता है, क्योंकि उसको लगातार फूड सप्लीमेंट और ऑक्सीजन चाहिए होती है, आंख का कॉर्निया तकरीबन 6 घंटे तक जिंदा रहता है।

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