सच है कि दुनिया को कोई भी लक्ष्य इंसान के साहस से बड़ा नहीं होता, हारा केवल वो जो कभी लड़ा नहीं। आज हम आपको यूपी पुलिस के ऐसे सिपाही की सेक्सेस स्टोरी बताने जा रहे हैं, जिसका नाम श्याम बाबू है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि यूपी के बलिया जिला निवासी कांस्टेबल श्याम बाबू ने अभी हाल में ही UP PCS Result 2016 में कामयाबी हासिल की है। श्याम बाबू अब सीधे कांस्टेबल से एसडीएम बन गए हैं।

कांस्टेबल से एसडीएम बने श्याम बाबू के सफलता की कहानी सुनकर आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे। श्याम बाबू की कहानी से ऐसी प्ररेणा मिलेगी, जो आपको जिंदगी में कभी हार नहीं मानने देगी, चाहे कितनी ही ​कठिनाईयां क्यों न आएं।
बेहद गरीब परिवार में जन्मे श्याम बाबू के सात-बहन हैं। घर की माली हालत यह थी कि पेट पालने के लिए जमीन भी नहीं थी, ताकि खेतीबारी कर सकें। इसलिए श्याम बाबू ने बकरियां भी पालीं, जिससे हजार-दो हजार रुपए कमाए जा सकें। श्याम बाबू ने अपने पिता का हाथ बंटाने के लिए खेतों में काम भी किया और घास भी बीनी।

जब श्याम बाबू के पिता ने एक छोटी सी दुकान खोली तब श्याम बाबू बहुत कम उम्र के थे, फिर भी कुछ पैसे बचाने के लिए दो-दो क्विंटल सामान भी अपनी साइकिल पर उठाया ताकि घर में खाना बन सके। श्याम बाबू के दो कमरों के घर पर छत भी नहीं थी, श्याम बाबू और उनके परिवार ने बरसात की अनगिनत रातें बैठकर काटी। उन्होंने दिन रात एक करके कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पास की और बन गए सिपाही। जब वे पुलिस विभाग में कांस्टेबल बने तो बड़े-बड़े अधिकारियों को देखकर उनके भी मन में जज्बा आया कि उन्हें भी कुछ बड़ा करना है। अधिकारियों से छुट्टी मांगने के लिए जब उन्हें कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता तब उन्हें लगा कि नहीं अब अधिकारी बनकर ही इस समस्या समाधान निकालूंगा।

इसके बाद बिना सोचे-समझे दिन रात पढ़ाई करने लगे, 12 घंटे की ड्यूटी करने के बाद भी उन्हें कभी थकान महसूस नहीं हुई। कुछ बड़ा हासिल करने की ललक हर दिन उन्हें नया जोश देती थी। श्याम बाबू यूपी पीसीएस की परीक्षा में कई बार असफल भी हुए लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा। इसी का नतीजा है कि श्याम बाबू की किस्मत आज सोने की तरह चमक रही है। अपने परिश्रम के दम पर श्याम बाबू ने अपनी किस्मत बदल दी। गौरतलब है कि जिस प्रकार से भगवान श्रीराम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे, ठीक उसी प्रकार श्याम बाबू भी 14 बरस तक कांस्टेबल बने रहने के बाद एसडीएम बनकर बलिया पहुंचे। परिश्रम और मजबूत इच्छा शक्ति के धनी ऐसे युवा को मेरा बार-बार सलाम।

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