केदारनाथ व बद्रीनाथ जाने के लिए 70-80 साल पहले तक भी श्रद्धालु पैदल मार्गों से यात्रा करके बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम पहुंचते थे. पिछले कुछ दशकों में केदारनाथ जाने के लिए सड़कें बन जाने की वजह से श्रद्धालु समय और यातायात और अन्य सुविधा खर्चीले होने की वजह से पैदल मार्गों से दूर हो गए. बदरीनाथ धाम तक जहां सीधी सड़क जाती है वहीं केदारनाथ के आधार शिविर गौरीकुंड तक भी सड़क सीधी जाती है.सदियों से श्रद्धालु भी इन्हीं पैदल रास्‍तों पर चलते हुए इन पवित्र धामों के दर्शन करने और पुण्यलाभ लेने आते रहे.

अगले महीने चारधाम यात्रा की शुरुआत से पहले उत्तराखंड पुलिस के राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) ने इन पैदल सड़क के मार्गों को फिर से खोजने की आवश्यकता जताई है. उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक ने बताया कि एक 13 सदस्यीय टीम को बद्रीनाथ और केदारनाथ के लिए रवाना किया गया है. यह टीम खुद पैदल यात्रा कर उन पुराने मार्गों की तलाश करेगी. इस टीम में दो महिला सदस्य भी हैं.

अधिकारियों ने बताया है की " हमारी टीम दो हिस्सों में बंट गई है. एक टीम बद्रीनाथ की ओर जा रही है जबकि दूसरी टीम अलग दिशा में स्थित केदारनाथ की ओर रवाना हो चुकी है’’.इसके अलावा, इन मार्गों को ढूंढने में हम स्थानीय ग्रामीणों तथा साधुओं से भी मदद ले रहे हैं

एसडीआरएफ की टीम रस्सियां और टॉर्च जैसे इस यात्रा के लिए जरूरी उपकरणों के अलावा अपने साथ प्राचीन साहित्य भी ले गई है, जिससे पारंपरिक पैदल मार्गों को ढूंढने में सहायता मिल सके. अन्य जरुरत की सामग्री भी साथ ले ली गई है जो रास्तों को ढूढ़ निकलने में मदद करेगी .

पुलिस महानिदेशक ने कहा कि टीम के लौटने के बाद एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘अगर पैदल मार्गों को ढूंढने की हमारी कोशिश सफल हो जाता है तो इससे क्षेत्र में धार्मिक के अलावा पर्यटन को भी बहुत लाभ मिलेगा.’’ अगले महीने चारधाम यात्रा की शुरुआत हो रही है. चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट जहां 10 मई को खुल रहे हैं वहीं रुद्रप्रयाग जिले में स्थित भगवान शिव के धाम केदारनाथ मंदिर के कपाट नौ मई को खुलेंगे. उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट अक्षय तृतीया के दिन सात मई को खुलेंगे.

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