देश की करेंसी व्यवस्था से दो हजार रुपये के नोट धीरे-धीरे बाहर किए जा रहे हैं। सरकार ने सोमवार को कहा कि उसकी जमाखोरी को रोकने और अर्थव्यवस्था में काले धन के प्रचलन को रोकने के प्रयास में अप्रैल 2019 से 2,000 रुपये के नए नोट नहीं छापे गए हैं।

इसी का नतीजा है कि देश में प्रसारित कुल नोटों में दो हजार रुपये के नोटों की संख्या 3.27 फीसद से घटकर 2.01 फीसद रह गई है। आने वाले दिनों में इसके और घटने की संभावना है।

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में सूचित किया कि 2018 में 2,000 के 3,362 मिलियन नोट चलन में थे। हालांकि, 26 फरवरी, 2021 तक 2,000 के केवल 2,499 मिलियन नोट ही चलन में है।

सरकार के विमुद्रीकरण की घोषणा के बाद नवंबर 2016 में 2,000 रुपये के नोट प्रचलन में आ गए और काले धन और नकली मुद्राओं पर अंकुश लगाने के प्रयास में 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद कर दिए गए थे।

आंकड़ों से साफ है कि सरकार ने एक-दो साल बाद ही दो हजार के नोटों को प्रचलन से बाहर करने पर काम शुरू कर दिया था। इस दिशा में बैंकों की भूमिका अहम है। जो नोट बैंक शाखाओं में आते हैं, उन्हें फिर सर्कुलेशन में डालने के बजाय ज्यादातर को रिजर्व बैंक के पास वापस भेज दिया जाता है।

Related News