पूत के पांव पालने में ही नज़र आ जाते हैं यह कहावक शायद वड़ोदरा के नील शाह जैसे होनहार बच्चों के लिए ही कही गई होगी। मतस्य डिपार्टमेंट से रिटायर्ड नील के पिता प्रद्युम्न शाह भले ही मात्र सातवीं तक पढ़ें हों।

लेकिन आज अपने बेटे को पढ़ाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं आजकल के अधिकतर बच्चे मैथ्स और साइंस विषय समझ न आने की शिकायत करते हैं।

जबकि नील ने इसे अपना दोस्त बना लिया है। न सिर्फ किताबी ज्ञान, बल्कि वह उसके practically उपयोग की भी जानकारी रखता है किताबें पढ़ने के शौक़ीन 12 वीं के छात्र नील ने हाल ही में अपने टीचर की मदद से एक सोलर साइकिल डिज़ाइन किया है।

ई-स्कूटर की तरह काम करने वाली इस साइकिल को चलाने में कोई खर्च नहीं आएगा। साइकिल में लगे सोलर पैनल से ऊर्जा लेकर इसकी बैटरी चार्ज होती है, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान भी नहीं पहुँचेगा।

नील बताते हैं, “किसी भी सामान्य ई-स्कूटर को चार्ज करने में बिजली का उपयोग होता है, जिसे कार्बन उत्सर्जन करके ही बनाया जाता है। लेकिन मेरी यह साइकिल सूरज की रोशनी और पैडल के जरिए चार्ज होती है। इसमें न पैसे खर्च होते हैं और न किसी तरह का कार्बन उत्सर्जन होता है।

नील जब पांचवी कक्षा में थे, तभी से उन्हें साइंस में बहुत दिलचस्पी थी। हालांकि उस समय उनकी क्लास में यह विषय पढ़ाया भी नहीं जाता था। इस बारे में बात करते हुए नील बताते हैं। मैंने बचपन में स्कूल लाइब्रेरी में Creator नाम की एक किताब पढ़ी।

उस किताब में अलग-अलग विज्ञान के Models बने हुए थे। तभी से मुझे यह जानने की जिज्ञासा हुई कि ये सारी चीजें बनती कैसे हैं । बाद में जब स्कूल में विज्ञान का विषय पढ़ाया गया, तब मुझे लगा कि अच्छा इन सारे अविष्कारों के पीछे विज्ञान है।

स्कूल के ‘बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट’ प्रतियोगिता में जहां दूसरे बच्चे घर या पेन स्टैंड बनाकर लाए थे। वहीं, कक्षा सातवीं में पढ़नेवाले नील ने बेकार पड़ी प्लास्टिक बोतल, कार्डबोर्ड और छोटी मोटर लगाकर एक हेलीकॉप्टर बनाया था। वह हेलीकॉप्टर एक फुट तक उड़ भी सकता था।

इसके बाद उन्होने किताबें पढ़कर ही टेलिस्कोप, एटीएम, प्रोसेसिंग प्रिंटर और रोबोट सहित कई इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स तैयार किए,नील, दसवीं कक्षा के फिजिक्स के टीचर को अपना मार्गदर्शक मानते हैं। पिछले तीन सालों से संतोष सर ने नील की कई प्रोजेक्ट्स बनाने में मदद की है।

संतोष कौशिक बताते हैं, “नील हमेशा लाइब्रेरी से फिजिक्स की किताबें लेकर आता था और उसके कांसेप्ट के बारे में पूछता था। हालांकि वे सारी किताबें उनके सिलेबस से बाहर की होती थीं

इसी साल मैंने सोलर पैनल से चलनेवाली एक साइकिल बनाने का कांसेप्ट उसे दिया। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ की मात्र एक महीने में उसने इसे तैयार भी कर दिया।

उन्होंने बताया, “मैंने इस सोलर साइकिल में 10 वॉट की सोलर प्लेट लगाई है, जिससे साइकिल 10 से 15 किमी का सफर आराम से तय कर सकती है।

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