मुंबई में बीएमसी (बृहन्मुंबई नगर निगम) ने सोमवार को कहा था कि मरने वाला व्यक्ति कोई भी धर्म का हो उसका अंतिम संस्कार जला कर ही किया जाएगा। उसे दफनाने की अनुमति नहीं है। क्योकिं इस से संक्रमण के फैलने की संभावना कम होगी।

हालांकि, बीएमसी ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से दबाव पड़ने पर इस आदेश को वापस तो ले लिया लेकिन इस आदेश के आते गई मुस्लिम समाज में काफी बेचैनी हो गई थी। उनका कहना है कि इस्लाम में शव को जलाने की अनुमति नहीं है। ऐसे में सरकार को दूसरे विकल्पों के बारे में सोचना चाहिए।

लखनऊ की ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इस्लाम में किसी भी मृत व्यक्ति के शरीर को जलाने की अनुमति नहीं है सभी काम जारी गाइडलाइन के आधार पर किया जाएगा। मृत व्यक्ति को नहलाया नहीं जाएगा और उसके शरीर पर पॉलीथिन लपेट पर ऊपर से पानी डाल दिया जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका, चीन, इटली जैसे दुनिया के तमाम देशों में कोरोना से मरने वाले व्यक्तियों के शवों को जलाया नहीं जा रहा है बल्कि अलग अलग जगह पर दफनाया जा रहा है।

ऐसे में सरकारों को सभी की धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए। क्योकिं इस्लाम में ये मुमकिन नहीं है। लेकिन हम अन्य गाइडलाइन को फॉलो करने के लिए तैयार हैं।

जमात-ए-उलमा-ए-हिंद से जुड़े मुफ्ती अब्दुल राजिक ने कहा कि कोरोना से मरने वालों को दफनाने से पहले उनकी कब्र को गहरी कर उसे पूरी तरह सेनेटाइज किया जा रहा है। लेकिन सरकार को भी हमारी भावनाओं का खयाल रखना चाहिए।

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