दोस्तों, आपको बता दें कि भगवान विष्णु ने पृथ्वी से अधर्म, अनीति और दुराचार का नाश करने के लिए पृथ्वी पर मानव स्वरूप में अवतार लिया था। हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को जगत का पालनहार माना जाता है। वे सभी के दुखों को दूर कर श्रेष्ठ जीवन का वरदान देते हैं। मान्यता है कि धरती पर किसी भी तरह का संकट खड़ा हो गया हो, तो भगवान विष्णु ही उसका समाधान करते हैं। इस स्टोरी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि भगवान विष्णु ने नर रूप में वह कौन से तीन अवतार लिए थे।

वामन अवतार
धरती को महाबलि राक्षस बलि से मुक्त कराने के लिए भगवान विष्णु ने मानव स्वरूप में वामन अवतार लिया था। इनका जन्म वामन ऋषि और माता अदिति के गर्भ से हुआ था। भगवान वामन को दक्षिण भारत में उपेंद्र नाम से भी जाना जाता है। वामनदेव ने महादानी बलि से केवल तीन पग भूमि मांगी थी। उन्होंने पहले पग में धरती, दूसरे पग में आकाश तथा अंतिम पग राजा बलि ​के सिर पर रखा था। इसके बाद राजा बलि को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।

परशुराम अवतार
भगवान विष्ण ने नर रूप में भृगुवंशीय जमदग्नि की पत्नी रेणुका के गर्भ से जन्म ​लिया। इनका नाम सबसे पहले राम था, ​लेकिन परशु (फरसा) धारण करने के चलते इन्हें परशुराम कहा गया। यह परशु उन्हें भगवान शिव ने दिया था। मान्यता है कि शिव के परम भक्त परशुराम भगवान विष्णु के छठवें अवतार हैं।

श्रीराम अवतार
भगवान विष्णु के सातवें अवतार का नाम श्रीराम है। मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के पिता का नाम अयोध्या नरेश दशरथ तथा माता का नाम कौशल्या था। भगवान श्रीराम ने धरती पर मौजूद आंतक रूपी समस्त राक्षसों का विनाश कर दिया था।

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