इंटरनेट डेस्क। यह अक्सर देखा गया है कि हर साल शहरी इलाकों में प्याज और टमाटर की कीमतें बढ़ जाती है। लेकिन पिछले साल यानि साल 2017 में केवल 95 फीसदी ही बारिश हुई थी। बावजूद इसके राजधानी दिल्ली सहित उत्तर भारत के लगभग हर शहरों में प्याज 80 रूपए से लेकर 100 रूपए किलो तक बिकी।

यही नहीं प्याज तो प्याज देश के कई शहरों में टमाटर का भाव भी 100 रूपए प्रति किलो रहा। पिछले साल हुई बेमौसम बारिश ने टमाटर और प्याज की कीमतें बढ़ाने में महती भूमिका अदा की थी।

भारत ही नहीं एशिया में प्याज की सबसे बड़ी मंडी नासिक है। पिछले साल मंडी नासिक स्थित पीएमसी के डिप्टी सेक्रेटरी सुदिन टरले ने पिछले साल बयान दिया था कि मानसून में होने वाली देरी और अक्टूबर महीने हुई अचानक बारिश ने खरीफ के फसलों की बुवाई देरी से हुई थी।

जबकि महाराष्ट्र में सितंबर महीने में हुई भारी बारिश ने प्याज की फसल को बर्बाद कर दिया था। इसके अतिरिक्त पिछले साल दक्षिण भारत में भी भारी बारिश हुई थी, जिसके चलते प्याज की फसलें देरी से तैयार हुई थी।

उपभोक्ता मंत्रालय ने दिया था मानसून का हवाला उपभोक्ता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने प्याज की कीमतों में इजाफे के लिए मानसून का हवाला दिया था। साल 2017 में दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में सितंबर महीने में भारी बारिश हुई थी।

जबकि कर्नाटक में हुई देर से बारिश के चलते प्याज के फसल की आपूर्ति 15-20 दिन देर से की गई। लिहाजा मार्केट में प्याज की कीमतों ने आसमान छू लिया।

पिछले साल देश के प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में मार्च के महीने में हुई बमौसम बारिश ने रबी की फसल को भी सबसे ज्यादा प्रभावित किया था। साल 2017 में केंद्र सरकार बढ़ती हुई प्याज की कीमतों को कम करने के लिए आनन फानन में कई बड़े फैसले लेने पड़े। सरकार ने प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य सुनिश्चित कर दिया था।

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