ये है भारतीय सेना की सबसे खतरनाक Special Force, जिनके नाम से ही थर थर कांपने लगते हैं दुश्मन
भारतीय सेना के पैराट्रूपर्स भारत की सबसे खतरनाक स्पेशल फ़ोर्स में से एक हैं। महेंद्र सिंह धोनी भी इस से जुड़े हुए हैं। जानकारी के लिए बता दें कि महेंद्र सिंह धोनी टेरिटोरियल आर्मी के साथ बतौर लेफ्टिनेंट कर्नल जुड़े हैं, वो इसी पैरा फोर्सेज से अटैच्ड हैं।
पैराट्रूपर्स स्पेशल ने ही 2016 में उरी आतंकी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसके बारे में हम आपको जानकारी देंगे
द्वितीय विश्व युद्ध से है कनेक्शन
पैरा स्पेशल फोर्सेज पैराशूट रेजीमेंट के साथ जुड़ी है और इनका कनेक्शन द्वितीय विश्व युद्ध से है। अक्टूबर 1941 को 50 पैराशूट ब्रिगेड का गठन किया गया था। इसके बाद 9 पैरा को सन् 1966 में तैयार किया गया और इसे 9वीं पैराशूट कमांडो बटालियन के तौर पर जानते हैं। सेना की यह सबसे पुरानी पैरा यूनिट है। इस समय सेना में पैरा फोर्सेज की 9 बटालियंस हैं।
1 पैरा (एसएफ)
2 पैरा (एसएफ)
3 पैरा (एसएफ)
4 पैरा (एसएफ)
9 पैरा (एसएफ)
10 पैरा (एसएफ)
11 पैरा (एसएफ)
12 पैरा (एसएफ)
21 पैरा (एसएफ)
आपको जानकारी के लिए बता दें कि जब साल 1965 मेंभारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई चल रही थी उत्तर भारत से इंफेंट्री यूनिट्स के जवानों को गार्ड्स की ब्रिगेड के मेजर मेघ सिंह की अगुवाई में खास तौर पर भेजा गया। इस ग्रुप की परफॉर्मेस को देखकर ये फैसला किया कि स्पेशल फ़ोर्स का गठन अलग से किया जाएगा। लेकिन आपको बता दें कि पैराट्रूपिंग को कमांडो रणनीति के आंतरिक हिस्से के रूप में रखा गया। इसके बाद इसे पैराशूट रेजीमेंट में ट्रांसफर कर दिया गया। जुलाई 1966 में पैराशूट रेजीमेंट देश की पहली स्पेशल ऑपरेशन यूनिट बनी। आपको जानकर हैरानी होगी कि पैरा कमांडो को 30,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाने से लेकर 15 दिन की बेहद कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है।
आगरा में होती है ट्रेनिंग
पैरा कमांडोज की ट्रेनिंग आगरा में होती है। जब कोई कमांडो 5 बार सफलतापूर्वक जंप कर लेता है तो किसी कमांडो को क्वालिफाइड पैराट्रूपर का बैच हासिल होता है। इसके बाद इनकी ट्रेनिंग होती है जो बेहद ही कठिन है। पैरा कमांडो के लिए उसका पैराशूट सबसे बड़ा हथियार होता है। इसका वजन करीब 15 किलोग्राम होता है और रिजर्व पैराशूट वजन में 5 किलो होता है।
क्या हैं पैरा कमांडोज की जिम्मेदारियां
दुश्मन के बारे में हर जानकारी जुटाने से लेकर उनके ठिकाने को पूरी तरह से मिटा देना इनका लक्ष्य होता है 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक इसी स्पेशल फोर्सेज के कमांडोज शामिल थे। इसी यूनिट ने साल 1971 में भारत-पाक जंग, 1980 में श्रीलंका में ऑपरेशन पवन,1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार, 1988 में मालद्वीव ऑपरेशन कैक्टस और फिर 1999 में कारगिल वॉर जैसे कई अहम मिशन पूरे किए हैं।