किन्नर भी करते हैं शादी, जन्म से लेकर अंत समय तक निभाते हैं अजीबो-गरीब रस्म-रिवाज
हमारे धर्म शास्त्रों के मुताबिक धरती पर जितनी भी वस्तुएं हैं , जीव है और जंतु है। सभी ईश्वर द्वारा रचित है , यहां तक की मानव भी ईश्वर द्वारा बनाई गई ही संरचना है। इस धरती कई किसी का अपना अपना जीने का अलग अलग ढंग, रहन – सहन, खाना-पीना, पहरावा अलग अलग होता है। ऐसे में ईश्वर की बनाई हुई एक और रचना है , जो हम इंसान के बीच ही रहती है लेकिन ना ही वो स्त्री की श्रेणि में आती है और ना ही पुरुषों की श्रेणि में। इन्हें हम सभी किन्नर के नाम से जानते है। सभी के लिए किन्नर समाज के बारे जानने की जिज्ञासा बनी रहती है। वैसे तो अक्सर यह लोग किसी मांगलिक कार्यक्रम या सड़कों व ट्रेन में दिख जाते है।
लेकिन इस तरह के कई सवाल उठते है कि ये कहां रहते हैं की क्या इनका विवाह होता भी है या नही। इनके देवी-देवता कौन होते हैं, ऐसे कई सवाल हमारे मन मे आते है। आपको यह बता दे कि फिलहाल इस समय प्रयागराज में कुंभ मेला 2019 का बेहद ही शानदार आयोजन चल रहा है और आपको यह भी पता होना चाहिए की इस मेले कि शुरुआत 15 जनवरी को हुआ और जिसकी अंतिम तारीख 4 मार्च तय की गई है। इस सबसे बड़े धार्मिक मेले में अब तक कई करोड़ लोग के आने का सिलसिला बना हुआ है और उम्मीद की जा रही है की आने वाले समय तक भी यहना पर श्रद्धालुओं का आना लगा रहेगा। ऐसे में जहां कुंभ में अखाड़ों के नागा साधु-संन्यासियों सभी आकर्षण का केन्द्र बने रहते है। तो वही इस बार के कुंभ मेले में 13 अखाड़ों की जगह 14 अखाड़ों ने भाग लिया है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि 14 वें अखाड़े में किन्नर अखाड़े को मान्यता दी गई है, जिसमें देश के कई किन्नरों ही केवल भाग लेंगे। लिया गया यह निर्णय काफी सराहनीय है। तो चलिए आज हम आपको इनके रहस्यों के बारे में बताते है, जिससे आप अभी तक अनजान है। पुराणों के मुताबिक जब प्रभु श्रीराम 14 वर्ष का वनवास काटने के लिए अयोध्या छोड़ने लगे तो उनकी सारी प्रजा और किन्नर समुदाय उनके पीछे-पीछे चलने लगे थे। अंत मे उन्होंने उन्हें वापस अयोध्या लौटने को कहा।
मगर बताया जाता है की लंका विजय के पश्चात जब श्रीराम 14 साल के बाद वापस अयोध्या लौटे तो उन्होंने देखा की बाकी लोग तो चले गए लेकिन किन्नर वहीं पर उनका इंतजार कर रहे है। उनकी इस भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्रीराम ने किन्नरों को वरदान दिया कि उनका आशीर्वाद हमेशा फलित होगा। तभी से बच्चे के जन्म और विवाह आदि मांगलिक कार्यों में वे लोगों आशीर्वाद देने का काम करते हैं, जो हमेशा फलित साबित होता है।