दोस्तों, काशी पंचांग के मुताबिक, सूर्य जब गुरु की राशि धनु या मीन में विराजमान रहते हैं, तो उस घड़ी को खरमास माना जाता है। खरमास में मांगलिक कार्य निषेध माने गए हैं। मांगलिक कार्यों विशेषकर शादी-विवाह, मुंडन, जनेऊ संस्कार, नूतन गृह प्रवेश इत्यादि करना खरमास में उत्तम नहीं माना गया है। बता दें कि खरमास में धार्मिक अनुष्ठान तो अवश्य किए जाते हैं, लेकिन शादी-विवाह नहीं होते या फिर मंगल शहनाई नहीं बजती।

आपको बता दें कि खरमास की अवधि 16 दिसंबर 2018 को सायं 6.39 से प्रारंभ हो जाएगी एवं 15 जनवरी 2019 की रात 2.39 तक रहेगी। सूर्य देव के गुरु की धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास शुरू हो जाता है।

खरमास में करें भगवान की सूर्य की उपासना

जब खरमास शुरू हो जाए तब मुंडन संस्कार, विवाह, नव गृह प्रवेश तथा जनेऊ संस्कार आदि शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। इस माह में सभी राशि वालों को सूर्य देव की उपासना अवश्य करनी चाहिए। क्योंकि भगवान की पूजा-अर्चना करने से सर्वश्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है।

बता दें कि सभी ग्रहों में सूर्य देव सबसे तेजस्वी हैं। अत: सूर्य देव की आराधना से शरीर भी सुंदर और कांतिमय होता है। हृदय रोगियों के लिए भी सूर्य की उपासना करने से आशातीत लाभ होता है। इस माह सूर्य देव की पूजा करने से वह जातक को दीर्घायु होने का फल प्रदान करते हैं। मनोवांछित फल पाने के लिए निम्न मंत्र का उच्चारण करें।

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा ।।

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