जिन्होंने अपने संघर्ष, मेहनत और लगन से एक वेटर से आईएएस अफसर तक का सफर तय किया. उनकी कहानी सभी के लिए काफी प्रेरणादायक है. गरीबी से जूझने के बाद भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखा और सफलता हासिल करके ही रुके. साल 2007 में वह यूपीएससी में 156वां रैंक हासिल किए और आईएएस बने.उत्तरी तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में विनवामंगलम में पैदा हुए।के जयगणेश बचपन के दिनों में चेन्नई के एक छोटे से भोजनालय में वेटर की नौकरी करते थे.लेकिन, इस दौरान भी उन्होंने पढ़ाई कभी नहीं छोड़ी और पढ़ते रहे.उन्होंने वेल्लोर के सरकारी इंस्टीट्यूट से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री ली. जयगणेश कहते हैं, मैं गांव लौटकर सिविल सर्विस की तैयारी करने लगा. लेकिन, तीन बार असफल रहा. इसके बाद मुझे लगा कि तैयारी के लिए मुझे चेन्नई जाना चाहिए.

वह इसके बाद सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली कोचिंग ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट फॉर आईएएस जो कि अन्ना नगर में है, उसमें एडमिशन ले लिए. इसके बाद उन्हें पैसों की जरूररत थी, जिससे वे अपना महीने का खाना का बिल और ट्रैवल का खर्च निकाल सकें.इसके बाद उन्होंने सत्यम सिनेमा में नौकरी की. लेकिन, इससे उन्हें पढ़ाई का मौका नहीं मिल पा रहा था. इसके बाद उन्होंने एक भोजनालय में नौकरी की, जहां काम करते हुए उन्होंने साल 2007 में आईएएस की परीक्षा पास कर ली.

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