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दोस्तों, आपको जानकारी के लिए बता दें कि 28 सितंबर से शुरू हुआ पितृपक्ष 9 अक्टूबर तक चलेगा। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, इन 16 दिनों में पितृगण परलोक से धरती पर वास करते है। धरती पर वास करते हुए पितर अपनी संतानों से श्राद्ध और तर्पण की चाहत लगाए खड़े हैं।

शास्त्र कहता है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा श्राद्ध एवं तर्पण की इच्छा रखती है। गरुड़ पुराण के मुताबिक, श्राद्धकर्म और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है। यही वजह है कि पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है।

यह महत्वपूर्ण बात आपको बता दें कि पुराणों के अनुसार पितृ पक्ष में ब्रह्मभोज से भी कहीं अधिक महत्व पौधारोपण को दिया गया है। किसी को भोजन करा देने से केवल एक समय की ही भूख मिटती है। लेकिन श्राद्ध पक्ष में फलदार वृक्ष अथवा ऐसे पौधे लगाएं जिससे किसी न किसी रूप में प्राणियों की आवश्यकता पूरी होती हो, इससे पितरों को उत्तम लोकों की प्राप्ति होती है।

पितृ पक्ष में कृषि योग्य भूमि के अलावा थोड़ी सी बची हुई जमीन पर आप आम, पीपल, महुआ, बेर, अमरूद आदि के पौधे लगा सकते हैं। धर्मशाला, उद्यान और जलाशय बनवाने का काम आप भी करवा सकते हैं, लेकिन यदि आपके पास उतना पैसा हो तो, अन्यथा अपने मित्र और पड़ोसियों के साथ मिलजुलकर साफ-सफाई का काम कर सकते हैं।

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