घातक COVID-19 महामारी के बीच भारत 15 अगस्त, 2021 को अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। 1947 में भारी संघर्ष और बलिदान के बाद भारत को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी मिली। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बंटवारे के तुरंत बाद पाकिस्तान में भारतीय मुद्रा का ही इस्तेमाल होता था।

15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद मार्च 1948 तक केवल भारतीय नोट ही पाकिस्तान में चलते थे । 1 अप्रैल 1948 से पाकिस्तान में भारत में चल रहे सभी तरह के नोटों के सर्कुलेशन को बंद कर दिया। इसके स्थान पर भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने 1 अप्रैल 1948 से पाकिस्तान सरकार के लिए नोट छापना शुरू किया। इन नोटों का प्रयोग केवल पाकिस्तान में ही हो सकता था।

आरबीआई गवर्नर के होते थे साइन

आपको जानकारी के लिए बता दें कि पाकिस्तान के लिए तैयार किए यह नोट नासिक स्थित सिक्योरिटी प्रेस में छपते थे।इतना ही नहीं इन पर आरबीआई के गवर्नर के ही साइन होते थे। नोट पर अंग्रेजी व उर्दू में गवर्नमेंट ऑफ पाकिस्तान और हुकूमत-ए-पाकिस्तान लिखा होता था। उस समय आरबीआई 1,5,10 और 100 रुपये के पाकिस्तानी नोट छापता था।

पाकिस्तान में 1953 तक भारत में ही पाकिस्तान के करंसी नोट छपते थे। इसी साल पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने देश में खुद नोट छापना शुरू किया था।

अब है दोगुना अंतर

अगर पाकिस्तानी और भारतीय रुपये की तुलना अगर आप अब डॉलर से करें तो इसमें अब काफी अंतर है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया आज की तारीख में 130 के स्तर पर है। वहीं भारतीय रुपया 68 के स्तर पर है।

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