रिफाइंड ऑयल आज के समय में अधिकतर घरों में इस्तेमाल किया जाता है। आज के समय में अन्य किसी भी प्रक्रिरिक तेल से ज्यादा रिफाइंड तेल का चलन है। लेकिन आपने आपने दिमाग में शायद ही इस बात के बारे में सोचा होगा के आखिर क्यों हम उस अच्छे और काफी पौष्टिक माने जाने वाले रिफाइंड आयल से आपने छोटे बच्चों की मालिश नहीं कर सकते और साथ ही में उसे अपने बालों मे भी नहीं लगा सकते। अगर गौर करें तो हम जिस चीज़ को बहर उपयोग नही करते उसे भला हम इतनी आसानी से खा कैसे लेते हैं??

हमारे अनुसार तो हम यही कहेंगे के अगर आप आपने सेहत की फ़िक्र करते है तो आप इससे खुद को दूर रखने की कोशिश करें और अगर नही तो इसका सेवन कम करें। अगर आपको स्वस्थ जीवन जीना है तो आप रिफाइंड तेल को छोड़कर आप सरसों , तिल या मूंगफली के तेल का उपयोग करें।

क्यों चुना गया रिफाइंड ऑयल ?


रिफाइंड तेल की बात करे तो इसका चलन पिछले 30-35 से हुआ है लेकिन अगर हम आपसे पूछे के क्यों आपने रिफाइंड तेल का इस्तेमाल शुरू कर दिया तो आपके पास इसका उत्तर शायद ही होगा। या फिर आप कहेंगे के ये हार्ट के लिए अच्छा होता है। लेकिन ये बात आप भी जानते हैं के ये बात हमे टीवी पर आने वाले विज्ञापनों से ही पता चली होती है जिनकी हकीकत शायद कुछ और होती है।

इन बीमारियों का है कारण


जिस रिफाइंड तेल का प्रयोग हम कॉलेस्ट्रॉल से बचने के लिए करते हैं वह इसी के साथ ही हमारे शरीर के आंतरिक अंगों के प्राकृतिक चिकनाई को भी अन्संतुलित कर देता है जिससे कितने ही जोड़ों, त्वचा एवं अन्य अंगों से संबंधित रोग होते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे के सामान्य तेल में मौजूद चिकनाई हमारे शरीर के लिए जरूरी फैटी एसिड देते है, जो हमारे लिए बेहद ही फायदेमंद होते हैं। रिसर्च के अनुसार खाने के लिए सरसों तेल , नारियल तेल और घी ही बेस्ट माने गये है।

ऐसे तैयार किया जाता है रिफाइंड ऑयल


200 डिग्री से 225 डिग्री पर जब तेल को आधे घंटे के वक्त तक गर्म किया जाता है तो उसमें से HNI नामक बहुत ही टोक्सिक पदार्थ बनता है। जो की लिनोलिक नामे के एसिड के ऑक्सीजनएशन से बनता है और साथ ही ये उत्तकों में प्रोटीन और अन्य आवश्यक तत्वों को भी क्षति पहुँचाने का कम करता है और फिर इसका उपयोग करने के बाद आप लीवर, स्ट्रोक, पार्किसन, एल्जाइमर जैसे रोगों के शिकार होते हैं ।

ह्रदय रोगों की सम्भावना हमको शुद्ध तेल से मिलता है HDL (High Density Lipoprotein), ये तेलों से ही आता है हमारे शरीर में, वैसे तो ये लीवर में बनता है लेकिन शुद्ध तेल खाएं तब।

नहीं होता चिपचिपा, जो है गलत
अगर आप सोचते हैं के चिपचिपापन तेल के लिए खराब होता है तो ये गलत है ,क्यंकि चिपचिपापन हटाने के बाद उसका सारा फैटी एसिड लगभग गायब हो जाता है और सारे महत्वपूर्ण घटक भी निकल जाते हैं। इसके बाद वो सिर्फ पानी बन कर ही रह जाता है।

नोट : इस आर्टिकल में दी गई जानकारियां रिसर्च पर आधारित हैं । इन्हेंब लेकर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूरी तरह सत्य और सटीक हैं, इन्हेंं आजमाने और अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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