कोरोना वायरस की दूसरी लहर के साथ साथ अब ब्लैक फंगस के मामले भी बढ़ते ही जा रहे हैं। ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस, फंगल इन्फेक्शन के बाद अब मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक मरीज में एक नए प्रकार के फंगस 'क्रीम फंगस' का पता चला है। ब्लैक फंगस की दवाई की कमी होने की वजह से भी मरीजों की मुश्किल बढ़ती जा रही है। म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस की मृत्यु दर 54 प्रतिशत है। ऐसे में आपके मन में ये सवाल होगा कि जब कोरोना पूरी दुनिया में फैला है तो ब्लैक फंगस केवल भारत में ही क्यों फैला?

शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स के निदेशक एवं सह संस्थापक डॉ. बी कमल कपूर के अनुसार भारत में डाजबीटीज के काफी मरीज है। भारत डायबिटीज की राजधानी है, जिसकी वजह से फंगल इंफेक्शन बढ़ रहा है, क्योंकि डायबिटीज के रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अन्य लोगों की तुलना में बेहद कम होती है।

उनके अनुसार ‘भारत की वयस्क आबादी में डायबिटीज के अनुमानित 73 मिलियन मामले हैं। बीमारी को नियंत्रित करने के लिए स्टेरॉयड का इस्तेमाल करने से भी इसके होने की संभावना बढ़ती है। जिससे मधुमेह संबंधी जटिलताएं भी बढ़ जाती हैं। कई लोग बिना डॉक्टर के परामर्श के भी दवाइयां ले रहे हैं। इस कारण मरीजों में ज्यादा जटिलताएं पैदा हो रही हैं।'

कम प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों के शरीर का पूरा इम्युनोग्लोबुलिन जब बीमारी से लड़ने में व्यस्त होता है तब ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस और येलो फंगस शरीर के अंदर जटिलताएं पैदा करते हैं।

क्या ब्लैक फंगस का है इलाज?
शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर विनीत सेहगल के अनुसार आई ऑर्बिट में दर्द, गाल में सुन्नता, नाक से स्राव और नाक का काला पड़ना आदि ब्लैक फंगस के संकेत हैं। ये लक्षण दिखने पर तुरंत जांच करवा कर इलाज करवाना चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान
स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठानों को ऑक्सीजन पाइप , वेंटिलेटर सर्किट और ऑक्सीजन सिलेंडर और ह्यूमिडिफायर पानी को नियमित रूप से बदलना और साफ करना चाहिए।

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