भारतीय रेलवे दुनिया के बड़े रेल नेटवर्क में गिना जाता है। ट्रेन में हर वर्ग का व्यक्ति सफर करता है। भारतीय रेलवे में मौजूदा ट्रेनें बिजली, डीजल और भाप के इंजन से चलती हैं। हालांकि भाप से चलने वाली ट्रेनों का प्रचलन न के बराबर है, ये केवल किसी खास मौके पर चलाई जाती हैं। अभी तक करीब 50 फीसदी रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण किया जा चुका है, लेकिन अभी भी बहुत से रूट पर डीजल से ट्रेन चल रही हैं। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि डीजल से चलने वाली ट्रेन्स का माइलेज कितना होता है।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि डीजल से चलने वाली ट्रेनों का माइलेज उनके रूट, सवारी गाड़ी, एक्सप्रेस होने या ना होने पर काफी निर्भर करता है। ट्रेनों का माइलेज वजन और रूट के आधार पर निकाला जाता है।

रिपोर्ट्स की मानें तो 24-25 कोच वाली ट्रेनों में 1 किलोमीटर के लिए 6 लीटर डीजल खर्च होता है। अगर कोई एक्सप्रेस ट्रेन 12 डिब्बों के साथ यात्रा करे, तो उसकी माइलेज 4.50 लीटर प्रति किलोमीटर हो जाती है। पैसेंजर ट्रेनों में डीजल का खर्च ज्यादा होता है। इस कारण इस ट्रेन को बार-बार रुकना होता है। इस वजह से उसमें ब्रेक और एक्सिलेटर का ज्यादा इस्तेमाल करना पड़ता है।

मालगाड़ी में कोच की संख्या और ट्रेन में ले जाए जा रहे सामान के आधार पर माइलेज का पता लगाया जाता है। यह हर ट्रेन के अनुसार तय होता है, जिसका निश्चित अनुमान लगाना मुश्किल है।

स्टेशन पर बंद नहीं करते इंजन

आपने देखा होगा कि स्टेशन पर ट्रेन चाहे कितनी भी देर खड़ी रहे उसका इंजन बंद नहीं किया जाता। इसका पहला कारण है कि डीजल इंजन का पावर ऑफ करने के बाद ब्रेक पाइप का प्रेशर काफी कम हो जाता है जिसे वापस उसी क्षमता में आने में अधिक समय लग जाता है। इसके अलावा दूसरी वजह ये है कि डीजल इंजन स्टार्ट करने में भी अमूमन 20-25 मिनट का समय लगता है।

Related News