वर्तमान में पूरी दुनिया कोरोना वायरस (COVID-19) के संकट से जूझ रही है। अब तक इस खतरनाक वायरस से निपटने के लिए कोई प्रभावी उपचार या टीका उपलब्ध नहीं कराया गया है। ऐसे में बढ़ते वायु प्रदूषण ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण में रहने वाले लोगों के लिए कोरोना घातक हो सकता है। उन्हें कोरोना संक्रमण से मरने का अधिक खतरा हो सकता है।

साइंस एडवांस नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, निष्कर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका में 3,000 से अधिक काउंटियों के विश्लेषण पर आधारित हैं। इसने कोरोनल मॉर्टेलिटी रेट पर हवा में पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) के प्रभाव की जांच की। अध्ययनों से पता चला है कि ऐसे प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क कोरोना से उच्च मृत्यु दर से जुड़ा हुआ है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि PM2.5 फेफड़ों में ACE-2 रिसेप्टर के अतिवृद्धि में एक भूमिका निभा सकता है। कोरोना वायरस इस रिसेप्टर के माध्यम से कोशिकाओं में प्रवेश करता है। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि वायु प्रदूषण के लंबे समय तक रहने से प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान हो सकता है। पिछले अध्ययनों से पता चला है कि वायु प्रदूषण कोरोना को अधिक घातक बना सकता है। PM2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के कारण वायरस विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है।

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