आज के परिदृश्य में एक अच्छा स्वास्थ्य बनाएं रखना बहुत चुनौतीपूर्ण होता हैं, हमारी खराब जीवनशैली और खानपान की वजह से कई तरह की बीमारियां हमें अपना शिकार बना लेती हैं, ऐसे में अगर हम बात करें कि किडनी की तो रक्त को साफ करने, रक्तचाप को नियंत्रित करने, हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने और शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालने के लिए जिम्मेदार महत्वपूर्ण अंग हैं। ऐसे में जब किड़नी खराब होने लगती हैं तो शरीर में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, आइए जानते हैं इन लक्षणों के बारे में और इसके उपायों के बारे में

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गुर्दे की बीमारी के लक्षण

  • थकान और कमजोरी
  • पेशाब कम आना या पेशाब का रंग बदलना
  • पैरों, टखनों और चेहरे में सूजन
  • सांस लेने में कठिनाई
  • मतली और उल्टी
  • भूख न लगना
  • सोने में परेशानी
  • त्वचा पर चकत्ते

गुर्दे की बीमारी के कारण

मधुमेह: गुर्दे की बीमारी का प्रमुख कारण।

उच्च रक्तचाप: समय के साथ गुर्दे की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।

ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस: गुर्दे के फिल्टर को प्रभावित करने वाली बीमारी।

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग: गुर्दे में सिस्ट बनाने वाला आनुवंशिक विकार।

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मूत्र पथ के संक्रमण: बार-बार संक्रमण से गुर्दे को नुकसान हो सकता है।

दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक उपयोग: कुछ दवाएँ गुर्दे के ऊतकों को नुकसान पहुँचा सकती हैं।

गुर्दे की बीमारी के लिए उपचार विकल्प

जीवनशैली में बदलाव: स्वस्थ आहार अपनाना, नियमित व्यायाम करना, धूम्रपान छोड़ना और स्वस्थ वजन बनाए रखना।

दवाएँ: रक्तचाप, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल के लिए दवाएँ शामिल हैं।

डायलिसिस: रक्त से अपशिष्ट उत्पादों और अतिरिक्त तरल पदार्थों को निकालने की प्रक्रिया।

गुर्दे का प्रत्यारोपण: क्षतिग्रस्त गुर्दे को स्वस्थ गुर्दे से शल्य चिकित्सा द्वारा प्रतिस्थापित करना।

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रोकथाम रणनीतियाँ

स्वस्थ जीवनशैली अपनाना: फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन के साथ संतुलित पोषण शामिल करना।

  • नियमित व्यायाम और धूम्रपान से बचना।
  • दवाओं और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से मधुमेह और उच्च रक्तचाप का प्रबंधन करना।
  • चिकित्सकीय देखरेख में दर्द निवारक दवाओं के उपयोग की निगरानी करना।

गुर्दे की नियमित जाँच: जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जैसे कि मधुमेह या उच्च रक्तचाप वाले लोग।

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