हनुमान जयंती विशेष : इस महाबली ने की थी दुनिया की सबसे पहली सर्जिकल स्ट्राइक, साथ में प्रमाण भी है!
अति प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में कृतयुग, सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और आज के इस कलियुग का स्पष्ट वर्णन मिलता है। त्रेता युग में विष्णु के अवतार भगवान श्रीराम और द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के अवतरित होने की कथा एक नहीं विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित है। यह सभी जानते हैं कि भारत एक धर्मपरायण और सहिष्णु देश रहा है, इसलिए हर युग में यह देश दुश्मनों के निशाने पर रहा है। ऐसे में हमारा पौराणिक इतिहास यह बताता है कि दुनिया की सबसे पहली सर्जिकल स्ट्राइक रामायण काल में हुई थी। वाल्मीकि कृत रामायण में यह वर्णित है कि जब हनुमान जी माता सीता का पता लगाने के लिए जाने लगे तो बीच में अथाह समुद्र मुंह बाए खड़ा था। लेकिन हनुमान जी ने ना केवल लंका के राजा रावण को अकेले ही सबक सीखाने की ठानी थी, बल्कि माता सीता के सकुशल होने का समाचार अपने प्रभु श्रीराम को सुनाना चाहते हैं।
गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस में इस बात का वर्णन किया गया है....
कहइ रीछपति सुनु हनुमाना,
का चुप साधि रहयो बलवाना।।
पवन तनय बल पवन समाना,
बुधि विवेक विष्यान निधाना।।
कवन सो काज कठिन जगमाही,
जो नहि होइ तात तुम्हपाही।।
राम काज लगि तव अवतारा,
सुनतहि भयउ पर्वता कारा।।
अर्थात- जामवंत ने कहा कि हे हनुमान जी सुनो, तुम कैसे चुप चाप बैठे हो। तुम तो पवन के समान चलने वाले हो पवन पुत्र हो। तुम तो बुद्धि, विवेक, और विज्ञान की खान हो। इस संसार में ऐसा कौन सा कार्य है, जिसे तुम नही कर सकते। फिर तुम्हारा तो जन्म ही भगवान श्री राम के कार्य हेतु ही हुआ है। उसी समय हनुमान जी अपने बल का स्मरण हो गया और वह सुनते ही अत्यन्त विशाल आकार के हो गए और भयंकर गर्जना करने लगे और तब हनुमान जी माता सीता की खोज के लिए श्रीलंका गए थे।
हनुमान जी ने ऐसे की थी सर्जिकल स्ट्राइक
देह बिसाल परम हरुआई। मंदिर तें मंदिर चढ़ धाई॥
जरइ नगर भा लोग बिहाला। झपट लपट बहु कोटि कराला॥
तात मातु हा सुनिअ पुकारा। एहिं अवसर को हमहि उबारा॥
हम जो कहा यह कपि नहिं होई। बानर रूप धरें सुर कोई॥
साधु अवग्या कर फलु ऐसा। जरइ नगर अनाथ कर जैसा॥
जारा नगरु निमिष एक माहीं। एक बिभीषन कर गृह नाहीं॥
ताकर दूत अनल जेहिं सिरिजा। जरा न सो तेहि कारन गिरिजा॥
उलटि पलटि लंका सब जारी। कूदि परा पुनि सिंधु मझारी॥
जब हनुमान जी को लंका के राजा रावण ने कैद कर लिया तब अंग भंग करने के लिए उनके पूंछ में आग लगाने की आज्ञा दे दी। इसके बाद हनुमान जी के पूछ में जैसे आग लगाई गई, उन्होंने अपना आकार बहुत विशाल कर लिया और लंका के नगरों को जलाने लगे। चारो तरफ हाहाकार मच गया। लंकावासियों को ऐसा लग रहा था कि इस वानर ने कोई देवरूप धारण कर लिया है। मात्र विभीषन को छोड़कर हनुमान जी ने लंका को राख कर दिया था और सकुशल वापस किष्किंधा भी लौट आए थे। देखा जाए तो यह घटना वाकई शोध का विषय है कि क्या सर्जिकल स्ट्राइक जैसी चीज भारत ने विश्व को दी है?