महाशिवरात्रि का त्यौहार भगवान शिव को समर्पित हिन्दू धर्म का एक बेहद महत्वपूर्ण और बड़ा त्यौहार है, जिसे शिव-शक्ति के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस वर्ष 11 मार्च, 2021 को यह पर्व मनाया जाएगा।

भगवान शिव की पूजा में कभी भी केसर, दुपहरिका, मालती, चम्पा, चमेली, कुन्द, जूही आदि के पुष्प प्रयोग नहीं करने चाहिए। साथ ही भगवान शिव को वैरागी कहा जाता है,इसलिए उनकी पूजा में सौभाग्य की निशानी माने जाने कुमकुम का भी प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।

हिन्दू दस्तावेजों के अनुसार वृंदा को जलंधर नामक असुर की पत्नी के रूप में देखा जाता है जिसका वध भगवान शिव ने किया था। तुलसी को वृंदा का ही अंश माना जाता है,जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया था। यही वजह है कि भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग नहीं किया जाता।

भगवान शिव से संबंधित कुछ ग्रंथों में यह उल्लेख मिलता है कि काले तिल भगवान शिव की मैल से उत्पन्न हुए हैं,इसलिए शिव पूजन के दौरान कभी भी काले तिल उपयोग में नहीं लाने चाहिए।

किसी भी देवी-देवता को टूटे हुए चावल अर्पित नहीं करने चाहिए,इन्हें अशुद्धता की निशानी माना जाता है। हमेशा साबुत चावल का ही प्रयोग करना उचित होता है।

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