कोरोना वायरस के सभी वेरिएंट्स के खिलाफ असरदार इस दवा को डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। यह शरीर में वायरस को बढ़ने से रोकती है। भारत समेत दुनिया के अधिकांश हिस्‍से में कहर बनकर टूटे SARS-CoV-2 के लिए दवा आ चुकी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री हर्षवर्धन ने इस दवा का पहला बैच (10,000 डोज) लॉन्‍च क‍िया।

फिलहाल इस दवा को सेकेंडरी मेडिसिन की तरह यूज करने की परमिशन दी गई है। यानी यह प्राइमरी मेडिसिंस के सपोर्ट में यूज की जाएगी। यह दवा काफी हद तक ग्‍लूकोज जैसी है, मगर ग्‍लूकोज नहीं है। वायरस शरीर में पहुंचते ही अपनी कॉपीज बनाना शुरू कर देता है, इसके लिए उसे ताकत चाहिए होती है जो ग्‍लूकोज से मिलती है।


जब यह दवा दी जाएगी तो वायरस इस ग्‍लूकोज एनालॉग को लेगा और उसी में फंस जाएगा। नतीजा ये होगा कि वायरस अपनी कॉपीज नहीं बना पाएगा यानी उसकी ग्रोथ रुक जाएगी।

डॉ. मिश्रा के मुताबिक, यह दवा लेने के बाद ऑक्सिजन की डिमांड बढ़ जाती है क्‍योंकि वायरस तेजी से मल्‍टीप्‍लाई होने लगता है। एक बार वह प्रक्रिया रुक गई तो ऑक्सिजन का संकट भी खत्‍म हो जाएगा।

INMAS के वैज्ञानिक डॉ. सुधीर चंदना के मुताबिक, यह दवा एक सैशे के रूप में उपलब्‍ध होगी। जैसे आप ORS को पानी में घोलकर पीते हैं, वैसे ही इसे भी पानी में मिलाकर ले सकेंगे। उन्‍होंने कहा कि यह दवा दिन में दो बार लेनी होगी। कोविड-19 मरीजों को पूरी तरह ठीक होने के लिए 5 से 7 दिन तक यह दवा देनी पड़ सकती है।

कीमत को लेकर अभी कुछ नहीं कहा गया है। डॉ. चंदना के अनुसार, इस बारे में कोई फैसला डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी ही करेगी। हालांकि उन्‍होंने यह जरूरी कहा कि दवा किफायती हो, इसका ध्‍यान रखा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, एक सैशे की कीमत 500 से 600 रुपये के बीच हो सकती है।

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