कौटिल्य न केवल राजनीति, अर्थनीति अथवा कूटनीति में निपुण थे बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण विषयों में भी विस्तृत ज्ञान था। उन्हीं के सानिध्य में महान सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने मगध पर अपने साम्राज्य की स्थापना की थी। बता दें कि आचार्य चाणक्य ने एक कुशल नायक बनने के लिए कई गुणों के विषय में बताया था जिसे उन्होंने चाणक्य नीति में स्थान दिया। चाणक्य नीति के भाग में आइए जानते हैं एक कुशल नायक बनने के लिए किन बातों का रखना चाहिए विशेष ध्यान।


धैर्य का साथ कभी न छोड़ें
कार्य को योजनाबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए धैर्य रखना बहुत आवश्यक है। इसलिए दल के अन्य लोगों से अधिक नायक को धैर्य रखना चाहिए। जल्दबाजी में किए गए काम में लापरवाही का खतरा निरंतर बना रहता है। जिससे कड़ी मेहनत पर चंद मिनटों में ही पानी फैल सकता है। इसलिए धैर्य व संयम का साथ कभी ना छोड़ें।

अपनी योजनाओं को गोपनीय रखें
एक अच्छा नायक अपने प्रतिद्वंदियों के सामने अपनी योजनाओं का खुलासा कभी नहीं करता है। योजनाओं की चर्चा करने से पराजय का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अपने दल के अलावा किसी अन्य के साथ महत्वपूर्ण जानकारी न बाटें। साथ ही इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके दल से भी कोई ऐसा न करे। इसलिए पूरी तरह सचेत रहें।


हर काम में सतर्कता बरतें
जब तक कोई काम सफलतापूर्वक पूरा न हो जाए तब तक एक कुशल नायक को हर समय सतर्कता बरतनी चाहिए। इसके साथ ही उसे दल के हर एक सदस्य से सुझाव भी लेना चाहिए। ऐसा करने से कार्य में रचनात्मकता आती है और सफलता के नए अवसर प्राप्त होते हैं।

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