भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के त्योहार रामनवमी को लेकर लोगों में खासा उल्लास रहता है। रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करने से विशेष पुण्य मिलता है। आज 13 अप्रैल, शनिवार को श्रद्धालु वांसतिक नवरात्र का अष्टमी व्रत रहने पर विशेष पुण्य फल मिलता है। त्रेता युग में राम नवमी के दिन महाराज दशरथ के घर विष्णु जी के अवतार भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।

ज्योतिषाचार्य जितेंद्र नाथ पाठक के मुताबिक, उत्तर भारत में रामनवमी का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन उपवास और ब्राह्मणों को भोजन कराना भी बहुत फलदायक है। ज्योतिर्विद दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली का कहना है कि अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। नवमी के दिन कन्या का पूजन कर भोजन कराने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि कन्या पूजन से सभी दुखों का नाश होता है। घर में सुख समृद्धि आती है।

जानिए कन्या पूजन का पूरा विधान

सामर्थ्य के अनुसार, 9, 18, 27 या 36 कन्याओं को भी पूजन के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। मान्यता है कि गरीब परिवार की कन्याओं का पूजन और सम्मान करने से शक्ति पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। अगर आप सामर्थ्यवान हैं, तो किसी भी निर्धन कन्या की शिक्षा और स्वास्थ्य की यथायोग्य जिम्मेदारी वहन करने का संकल्प लें।
बता दें कि चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी के दिन कन्या भोजन कराने से पहले उनको आमंत्रित करके उनका पैर धोएं और उनका श्रृंगार करें। भोजन करवाते समय मिष्ठान और फल शामिल करना कभी ना भूलें। इसके बाद यथायोग्य उपहार देकर कन्याओं को उनके घर तक पहुंचाएं। नवरात्रि में कन्या पूजन के लिए आप किसी भी वर्ण, जाति और धर्म की कन्या को आमंत्रित कर सकते हैं।

अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

13 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह 6 बजे से सुबह 9 बजकर 12 मिनट तक।
सुबह 10 बजकर 47 मिनट से 11 बजकर 41 मिनट तक।

नवमी के दिन कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

जिन लोगोें को नवमी के दिन कन्या पूजन करना है, उनके लिए 14 अप्रैल शुभ मुहूर्त है।
14 अप्रैल दिन रविवार को सुबह 6 बजकर 42 मिनट से सुबह 9 बजकर 36 मिनट तक।
विसर्जन और पारण का शुभ मुहूर्त- सुबह 9 बजकर 36 मिनट से दोपहर 2.25 मिनट तक।

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