फिल्म में कोई कहानी ही नहीं है, कहीं भी कैसे भी कुछ भी, बस फिल्म आगे बढ़ रही है ऐसा लग रहा है कहानी पर जरा भी मेहनत नहीं की गई है, पिछले कुछ वक्त में जिस तरीके की फिल्में आर माधवन ने की हैं जैसेरॉकेट्री और तन्नू वेड्स मनुजिनकी कहानी ही उनकी जान थी,लेकिन अब माधवन एक ऐसी किसी फिल्म में दिखाई देंगे जिसमें कहानी समझ के परे है और फिल्म में कौन सा किरदार क्या कर रहा है उसे खुद समझ नहीं रहा है।

पूरी फिल्म में कोई भी किसी से भी प्यार कर रहा है,फिल्म को जिस तरीके से क्राइम थ्रिलर दिखाने की कोशिश की गई है, वो बिलकुल ही बचपन के खेल जैसा लग रहा है जिसमे फिल्म का एक हिस्सा पत्रकारिता को भी दिखता है कि किस तरीके का झूठ टीवी चैनल लोगों तक पहुंचा रहे हैं एक मजाकिया तरीके से बड़ी आसानी से कूकी गुलाटी ने इसे दिखाया है की टीआरपी के लिए हर हद को टीवी चैनल आज कल पार कर रहे हैं।

एक्टिंग की बात करें तो हर एक किरदार ने बेहतरीन एक्टिंग की है,आर माधवन बेहतरीन एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं इस फिल्म में भी उन्होंने कमाल की एक्टिंग की है लेकिन इस फिल्म में उनके किरदार को देखकर ये समझ नहीं रहा कि वो किरदार क्या करना चाहता है. वो कहीं भी बड़ी आसानी से इधर-उधर जा रहा है।

डेब्यू कर रही खुशाली कुमार काफी फीकी नजर आईं,बहुत ओवर एक्टिंग उनकी तरफ से नजर रही थी।

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