इंटरनेट डेस्क |संजय दत्त की बायोपिक संजू दर्शकों को अपनी तरफ खींचने में सफल रही है। फिल्म के जरिए रणबीर कपूर ने दर्शकों के दिलों पर राज कर लिया है। फिल्म में संजय दत्त की लाइफ के बारे में बताया गया है। उनके नशे की आदत से लेकर जेल जाने तक का सारा संघर्ष देखने को मिला। फिल्म को देखने के बाद पता चला है कि किस तरह संजय दत्त को टाडा केस में फंसाया गया था। बाद में खुद को निर्दोष साबित कर जेल से छूटे। इसके लिए संजय दत्त और उनके पिता सुनील दत्त ने बहुत से लोगों से मदद मांगी लेकिन हर जगह से उन्हें निराशा हाथ लगी। इस फिल्म में संजय दत्त को मासूम बताया है।अगर आपने फिल्म देखी है तो फिल्म का एक सीन आपको जरूर याद होगा कि संजय दत्त पुलिस की गिरफ्त से बाहर आने के बाद खुद को टेरेरिस्ट नाम से मुक्त कराने के लिए किसी बड़े नेता से दिल्ली में मिलने जाते है। उनसे बात करने की कोशिश करते है लेकिन वो नेता उनकी बात को सुनने से पहेल ही सो जाता है। वो आंखे खोलकर ही बातें करते-करते सो जाता है। संजय दत्त को लगता है कि वो सुन रहा है। लेकिन वो नेता कुछ भी नहीं सुनता। उस समय संजू की आवाज उभरती है कि हमें अभी तक नहीं पता कि वह वह मेरी बात सुनते हुए सचमुच सो गए थे या सोने का नाटक कर रहे थे। फिल्म के इस सीन पर सेसंर बोर्ड ने अब सवाल खड़े किए है। उनका कहना है कि फिल्म मे संजय दत्त ने खुद को तो बेकसूर साबित कर दिया लेकिन किसी बड़े नेता की छवि को खराब किया है। फिल्म में उस नेता के किरदार और उनके बोलने के ढंग से साफ पता चलता है कि वो दिल्ली के बड़े राजनेता रहे है। भले ही इस समय वो राजनीति से दूर हो गए है लेकिन उस समय के सबसे बड़े नेता थे। निर्देशक राजू हिरानी ने उनकी छवि को धक्का पहुंचाने की कोशिश की है। सेंसर बोर्ड के प्रमुख प्रसून जोशी ने इस मुद्दे के बारे में मीडिया के सामने बात की है।

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