एक इंटरव्यू में राजू श्रीवास्तव ने बताया था कि जब उन्होंने कॉमेडी करना शुरू किया, तो ये बात उनके रिश्तेदारों को बिल्कुल पसंद नहीं आई थी,उन्हों लगता था कि बच्चों को पढ़ाई करनी चाहिए, न कि दूसरों के घर जाकर हंसी-ठिठोली में समय बर्बाद करना चाहिए और लोग इस प्रोफेशन का मजाक उड़ाते थे इसके साथ राजू के माता-पिता से शिकायत करते थे कि बेटे ने ये क्या काम चुन लिया है?उन्हें लगता था कि मेरे इस काम से परिवार की नाक कट जाएगी।

राजू जब छोटे थे, मौज-मस्ती के लिए मिमिक्री करते थे,अपना टैलेंट लोगों को दिखाना चाहते थे लेकिन शुरुआत में उन्होंने कभी कॉमेडी को करियर के रूप में अपनाने का नहीं सोचा था।

उन्होंने अपने एक इंटरव्यू बताया था कि ‘उस दौर में कॉमेडी को एक कला के रूप में जाना नहीं जाता था और ना की कोई इसे प्रोफेशन के रूप में नहीं देखता था’।

राजू श्रीवास्तव वो नाम है जिसने देश को ये बताया कि हंसना हंसाना सिर्फ मौज मस्ती का नाम नहीं है, इसे प्रोफेशन भी बनाया जा सकता है।

कॉमेडी को एक करियर के रूप में पहचान दिलाने वालों में राजू श्रीवास्तव का नाम भी शुमार है।

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