मध्यप्रदेश का मुरैना जिला अपने भयावह बीहड़ों के लिए कुख्यात है। ग्वालियर जिला मुख्यालय से करीब 45 किमी की दूरी पर मुरैना जिले के मितावली ग्राम में चौंसठ योगिनी परंपरा का मंदिर स्थापित है। स्थानीय लोग इस मंदिर को इकोत्तरसो या इकंतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है। मितावली में स्थित यह चौंसठ योगिनी मंदिर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा संरक्षित है।

मितावली की पहाड़ी पर मध्यकालीन शिल्पियों ने एक गोलाकार मंदिर बनाया था, जिसमें कई देवालय स्थापित किए गए थे। यह मंदिर पूर्णत: ग्रेनाईट पत्थर से बना हुआ है, जो कि शिल्पकला का अद्भुत नमूना है। साल 1323 में महाराजा देवपाल ने इस गोलाकार मंदिर के मध्य प्रमुख गर्भगृह में एक शिवलिंग स्थापित करवाया था। इस गोलाकार मंदिर के चारो तरफ बने छोटे-छोटे देवालयों में शिवलिंग स्थापित हैं।

मंदिर की तलहटी में आदमकद कुषाण कालीन पाषाण प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं। हांलाकि चौंंसठ योगिनी का यह मंदिर अपने मूल स्वरूप में विद्यमान नहीं है। मंदिर में रास्ते में एक बड़ी नंदी की प्रतिमा अभी भी मौजूद है।

प्रख्यात वास्तुकार सर हरबर्ट बेकर और सर लुटियन चौंसठ योगिनी मंदिर की स्थापत्य कला देखकर चकित रह गए थे। इसके बाद इन्होंने इसी मंदिर को देखकर भारत के संसद भवन की डिजाइन पेश की थी। वास्तुकार लुटियन में संसद भवन का डिजाइन तैयार किया था, जबकि यह विशाल भवन सर हरबर्ट बेकर के निर्देशन में तैयार किया गया था।

गौरतलब है कि इस मंदिर की मरम्मत और सुधार कार्य भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से किया जा रहा है। हांलाकि 9वीं शताब्दी में बने इस मंदिर के फर्श और दीवारों पर वैदिक तथा प्राकृत भाषा में उकेरे श्लोक तथा कई महत्वपूर्ण जानकारियां धीरे-धीरे मिटती जा रही है। बावजूद इन ऐतिहासिक जानकारियों को पुरातत्व विभाग की ओर से बोर्ड भी अंकित नहीं किया जा रहा है। इतना ही नहीं इन महत्वपूर्ण जानकारियों को सुरक्षित रखने के लिए किसी प्रकार की रेलिंग का इंतजाम भी नहीं किया गया है।

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