महाराष्ट्र: क्या है फ्लोर टेस्ट जिसके आधार पर होगी ओपन वोटिंग, यहाँ समझिए पूरी कहानी
सुप्रीम कोर्ट से फडणवीस सरकार को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में कल यानी 27 नवंबर को शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट करने का आदेश दिया है। ये टेस्ट गुप्त नहीं होगा बल्कि इसका लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा। लेकिन इसके पहले प्रोटेम स्पीकर सभी विधायकों को शपथ दिलाएंगे। अगर आप फ्लोर टेस्ट से परिचित नहीं हैं तो आइए पहले इसके बारे में जान लेते हैं।
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फ्लोर टेस्ट क्या है
एक फ्लोर टेस्ट को सरकार द्वारा एक विशेष परिस्थितिमें शुरू किए गए प्रस्ताव के रूप में समझाया जा सकता है ताकि यह जानने की कोशिश की जा सके कि क्या वह विधायिका का विश्वास हासिल करता है। इस प्रक्रिया के भाग के रूप में, राज्यपाल द्वारा नियुक्त मुख्यमंत्री को विधान सभा के फर्श पर बहुमत साबित करने के लिए कहा जाएगा।
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फ्लोर टेस्ट कैसे आयोजित किया जाता है
जब किसी राज्य की विधानसभा में एक फ्लोर टेस्ट बुलाया जाता है, तो मुख्यमंत्री विश्वास मत हासिल करेंगे और साबित करेंगे कि उनके पास बहुमत का समर्थन है या नहीं। अगर फ्लोर टेस्ट फेल होता है, तो मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना होगा। संवैधानिक प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ये फ्लोर टेस्ट आयोजित करवाया जाता है।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्यों सुनाया फ्लोर टेस्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का अपना आदेश मंगलवार सुबह 10.30 बजे सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस द्वारा दायर की गई याचिका के आधार पर लिया है। इन तीनों पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की कि देवेंद्र फडणवीस के पास बहुमत साबित करने के लिए समर्थन नहीं है। इसको ध्यान में रखते हुए SC ने ये फैसला सुनाया है।