आज के समय में प्रेम विवाह करना एक आम बात है। लोग अपनी जाति या अन्य जातियों में प्रेम विवाह करते हैं। आज शहरों में प्रेम विवाह को स्वीकार कर लिया जाता है लेकिन फिर भी कई ऐसे गाँव और कस्बे हैं जहाँ प्रेम विवाह को आज भी स्वीकार नहीं किया जाता है। पहले के समय भी प्रेम विवाह करने के लिए कई राजाओं आदि को मुसीबतों का सामना करना पड़ा था।

लेकिन आज हम आपको ऐसी 2 स्त्रियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने प्रेमविवाह करने के लिए अपने ही पतियों का हरण कर लिया था। आइए जानते हैं उन स्त्रियों के बारे में।

रुक्मणि

राजा भीष्मक के 4 पुत्र थे और एक इकलौती पुत्री थी, जिसका नाम रुकमणि थी। रुक्मणि श्री कृष्ण से शादी करना चाहती थी। लेकिन राजा के चारो बेटे कृष्ण से नफरत करते थे। वे चाहते थे कि रुक्मणि शिशुपाल से विवाह करे। उसके भाइयों ने उसका विवाह शिशुपाल के साथ तय कर दिया था लेकिन रुक्मणि उस से विवाह नहीं करना चाहती थी इसलिए एक पंडित को भगवान कृष्ण के पास संदेश लेकर भेजा कि वो शिशुपाल से नहीं कृष्ण से विवाह करना चाहती है। रुक्मणि ने उस कुलदेवी के मंदिर का बारे में श्री कृष्ण को बताया जहाँ उसका विवाह होने वाला था। तब भगवान कृष्ण रुकमणि को लेने पहुंचे और वहां पहुंचकर रुकमणि को कहा कि रुकमणि मै तुमको लेने आया हूँ लेकिन रथ तुमको चलाना होगा। ऐसा करने से तुम्हारे भाई तुम्हारा हरण करने का इल्जाम मुझ पर नहीं लगा पाएंगे और युद्ध भी नहीं होगा। भगवान् कृष्ण की बात मानकर रुकमणि ने रथ चलाया और इसतरह कृष्ण को भागा कर ले गई। इसके बाद श्री कृष्ण और रुक्मणि का विवाह हो गया।

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सुभद्रा

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वासुदेव की पुत्री सुभद्रा अर्जुन से प्रेम करती थी लेकिन बलराम सुभद्रा का विवाह अर्जुन से नहीं करना चाहते थे। बलराम सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से कराना चाहते थे। कृष्ण भी यही चाहते थे कि सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हो इसलिए जब सुभद्रा का विवाह होने वाला था तब सुभद्रा पूजा के लिए गई तो अर्जुन सुभद्रा को हरण करने जा पहुंचे लेकिन श्री कृष्ण ने उन्हें सलाह दी कि रथ सुभद्रा को चलाना चाहिए।

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बलराम और दुर्योधन अर्जुन से युद्ध करने पहुंचे और उन्होंने पता चला कि रथ सुभद्रा ने चलाया तो उन्हें ये शादी स्वीकार करनी पड़ी।

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