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आज के समय में सभी लोगों के पास स्मार्टफोन्स हैं। स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल तो सभी करते ही हैं लेकिन साथ ही एक और आदत का शिकार भी लोग हैं, वो यह कि अक्सर हम कई बार काम करते वक्त, सफर करते वक्त या किसी तरह का कोई गेम खेलते वक्त भी हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं। इस आदत से कई लोग परेशान है। हेडफोन का इस्तेमाल करने के बाद हम उन्हें रख देते हैं लेकिन यदि हम आधे घंटे बाद भी उन्हें निकाल कर देखते हैं तो वे काफी उलझ जाते हैं। उन्हें फिर से सुलझाने के लिए मेहनत भी करनी पड़ती है। तो क्या आपने कभी सोचा कि आखिर ऐसा क्यों होता है? भला हेडफोन के तार बार बार क्यों उलझ जाते हैं? आइये जानते हैं इस बारे में।

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हेडफोन के तार उलझने में हमारी गलती नहीं होती है। असल में इसके पीछे विज्ञान है और ऐसा होना लगभग तय है। 2012 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलीफोर्निया के दो वैज्ञानिकों ने इस कारण का पता लगाने की सोची। इसके लिए उन्होंने नॉट थ्योरी यानी गाँठ के सिद्धांत को काफी गहराई से अध्यन्न किया। इसके लिए उन्होंने अलग अलग लंबाई के अलग अलग तारों को चुना और उन्हें एक साथ एक प्लास्टिक के बक्से में रख दिया।

बक्से को वह समय-समय पर हिलाते रहे। इसके नतीजे चौकाने वाले थे। उन तारों में खुद बा खुद गांठें पड़ गई जिन्हे सुलझाने के लिए काफी मेहनत करने की जरूरत थी। बक्से को हिलाने के लगभग 10 सेकंड में ही तार आपस में उलझ गए। इसका मतलब यह हुआ कि जब हम बैग में हेडफोन रखते हैं तो कुछ कदम चलने पर वे काफी हद तक उलझ जाते हैं जिन्हे सुलझाने के लिए काफी मेहनत भी करनी पड़ती है।

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तारों की लंबाई का भी उनके उलझने पर फर्क पड़ता है। तारों की लंबाई जितनी अधिक होगी वे उतना ही आपस में उलझेंगे। इसके अलावा ये वायर जिस मेटेरियल से बनते हैं उसकी वजह से भी जल्दी से ये उलझ जाते हैं।

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