कभी मायावती को था इनसे प्यार, लेकिन किस्मत ने खेला ऐसा खेल कि सब हो गया खत्म
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में दलित राजनीति का चेहरा बनी मायावती का जन्मदिन चर्चा में बना रहता है। वैसे उनके जीवन में बहुत सी कठनाई आई लेकिन हर मुश्किल को प्रकार वो आगे बढ़ी ,अजय बोस की किताब 'बहन जी' में उनके जीवन के काफी चर्चे मिलेंगे, इस किताब में मायावती की अपने पिता से तल्खी, दादा से प्यार और स्वयं को साबित करने की उत्कंठा का जिक्र किया गया है।
मायावती के दादा मंगलसेन अंग्रेज सेना में सिपाही रह चुके थे और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इटली में लड़े थे। मायावती अपने दादा की प्रिय थीं, वह उनकी बुद्धिमानी, निष्पक्षता और ऊंचे विचारों की सराहना करती हैं। वे गर्व से याद करती हैं कि उनके दादा ने दोबारा शादी करने से मना कर दिया था जब उन्होंने अपनी पत्नी को खो दिया था। जिस वक्त उनके पुत्र यानी मायावती के पिता प्रभुदास की उम्र महज 6 महीने की थी. उन्होंने अकेले ही प्रभुदास को पाला।
इसके उलट अपने पिता के लिए मायावती के मन में खुली अवहेलना की भावना थी जो रिश्तेदारों की सलाह पर दूसरी पत्नी लाने को तैयार थे क्योंकि उनकी मां ने एक के बाद एक तीन बेटियों को जन्म दिया था। रिश्तेदारों ने चाबी भर रखी थी कि प्रभुदास अपने पिता के इकलौते बेटे हैं, वंश आगे बढ़ाने के लिए उन्हें बेटा पैदा करना ही पड़ेगा, मायावती को कई साल बाद तक अपनी मां का दुख और अपमान याद था जो उनके पिता ने पुत्र को पाने के लिए किया था।
मायावती के दादा मंगलसेन ने जबरदस्ती अपने बेटे को दोबारा शादी करने से रोका. उन्होंने अपने बेटे प्रभुदास से और उनके साथियों को बुलाकर कहा कि मेरा वंश पोतियां ही चलाएंगी. हम अपनी पोतियों को ही अच्छी तरह पढ़ा लिखाकर होनहार बनाएंगे।
'बहन जी' में मायावती का कथन कोट किया गया है जिसमें वे कहती हैं 'मेरे पिता जी ने मेरे भाइयों पर तो काफी पैसा लगाकर अच्छा पढ़ाने लिखाने पर खूब ध्यान दिया। इसके विपरीत एक लड़की होने के कारण मुझे एक साधारण सरकारी स्कूल में ही पढ़ने का मौका मिला। फिर भी मैं अपनी मेहनत और लगन के आधार पर आगे बढ़ती रही और पढ़ाई में भाइयों के मुकाबले में अच्छा प्रदर्शन करती रही।
उनकी किस्मत ने 1993 में पलटी मारी और उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के लिए उनकी पार्टी बसपा सपा के साथ आ गई। मायावती की राजनैतिक हैसियत तेजी से ऊपर उठी और मुलायम सिंह यादव भले मुख्यमंत्री बने, मायावती को 'महा मुख्यमंत्री' की उपाधि मिली।