मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो द्वारा कॉल और डेटा टैरिफ को सस्ता करने के बाद से भारत का दूरसंचार क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहा है। हालांकि, टेलीकॉम इंडस्ट्री की किस्मत अच्छी है कि सेक्टर में टैरिफ डिसिप्लिन का दौर शुरू हो जाएगा। इसके बाद से डेटा और कॉलिंग पैक अब सस्ते नहीं रहेंगे। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति उपयोगकर्ता मोबाइल राजस्व, वित्त वर्ष 2025 तक दोगुना हो सकता है।

टैरिफ डिसिप्लिन से आप परिचित नहीं हैं तो बता दें कि इसके बाद से हम किसी भी पैक की मनमानी कीमत लगा कर उसे सस्ते में उपलब्ध नहीं करवा सकते है।

पीटीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, "25 से अधिक बाजारों का तुलनात्मक विश्लेषण बताता है कि भारत में मोबाइल राजस्व / ARPUs वित्त वर्ष 2015-25 से दोगुना बढ़कर 38 बिलियन अमरीकी डॉलर हो सकता है।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारती एयरटेल को भारतीय टेलीकॉम स्पेस में बढ़ती टैरिफ और चल रहे कंसॉलिडेशन के प्रमुख लाभार्थी होने की उम्मीद है। वर्तमान में, 25 से अधिक देशों के मोबाइल ARPU (प्रति उपयोगकर्ता औसत राजस्व) की तुलना में भारत का मोबाइल राजस्व-से-जीडीपी अनुपात 0.7% से सबसे कम है।

मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो अमेरिका के तकनीकी दिग्गजों का ध्यान आकर्षित कर रहा है, जो लगभग 9.99% इक्विटी के लिए सोशल-मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक से 43,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर रहा है। तब से, Google ने वोडाफोन-आइडिया और अमेज़ॅन और भारती एयरटेल के साथ मामूली हिस्सेदारी के लिए बातचीत की है। लेकिन वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल ने भी इससे इनकार कर दिया।

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