ओलंपिक में दिए जाने वाले एक छोटे से मेडल के लिए एथलीट सालों मेहनत करते हैं। यह सिर्फ एक धातु का पदक नहीं बल्कि मान और सम्मान से जुड़ा होता है। फिर चाहे गोल्ड मेडल हो या सिल्वर या ब्रांज। सभी की अपनी विशेषता है और सम्मान है।

ओलंपिक में मेडल देने की शुरुआत तो काफी पहले हो गई थी मगर हमेशा से धातु का पदक दिया जाता था, ऐसा नहीं है। फूलों के हार से लेकर पुराने सेल फोन और इलेक्ट्रानिक डिवाइस को रिसाइकिल कर बनाए गई धातु तक, मेडल देने की परंपरा में काफी बदलाव हो चुका है।



प्राचीन ओलंपिक खेलों के दौरान, जो एथलीट जीतते थे उन्हें 'कोटिनो' या जैतून की माला से सम्मानित किया जाता था। जिन्हें ग्रीस में एक पवित्र पुरस्कार माना जाता था, जो सर्वोच्च सम्मान का प्रतिनिधित्व करता था। 1896 में, प्राचीन ग्रीस की लंबे समय से खोई हुई परंपरा का एथेंस ओलंपिक खेलों में पुनर्जन्म हुआ था। इस पुनर्जन्म के साथ, पुराने लोगों के लिए नई प्रथाओं ने रास्ता बनाया और इस प्रकार पदक देने का रिवाज शुरू हुआ। तब गोल्ड मेडल देने की परंपरा नहीं थी।

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