धोनी ने अपनी फिनिशिंग स्किल्स से भारत और अपनी आईपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स को न जाने कितने मैच जिताए हैं. क्रिकेट की दुनिया में जब फिनिशरों का नाम लिया जाता है तो इसमें महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) का नाम काफी आगे रहता है. उनकी ये काबिलियत कई क्रिकेटर अपनाना चाहते हैं. उन्हीं में से एक हैं रियान पराग (Riyan Parag). पराग आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलते हैं. आईपीएल-2022 में उनका प्रदर्शन हालांकि अच्छा नहीं रहा था. पराग ने इस सीजन कुल 17 मैच खेले थे लेकिन महज 183 रन बना पाए थे. इस सीजन वह राजस्थान के लिए फिनिशर के रोल में ही थी लेकिन उन्हें ज्यादा गेंदें मिलती नहीं थीं। राजस्थान की टीम ने इस सीजन 2008 के बाद पहली बार फाइनल में जगह बनाई थी लेकिन जीत नहीं सकी थी।

* जो धोनी ने किया वो करना चाहता हूं :

पराग ने कहा है कि वह नंबर-6 और सात पर अपना हक जमाना चाहते हैं ठीक उसी तरह जिस तरह से धोनी ने किया था. अभी तक सिर्फ एक खिलाड़ी ने ऐसा किया है और वो हैं एमएस धोनी. उनको छोड़कर कोई और खिलाड़ी दिमाग में नहीं आता। पराग ने कहा, “मैं अपनी बल्लेबाजी पोजिशन से काफी खुश हूं. लेकिन मैं अपने प्रदर्शन से खुश नहीं हूं. मैं नंबर-6 और नंबर-7 को कमाना चाहता हूं. मैं उस रास्ते पर जाना चाहता हूं. उम्मीद है कि मैंने जो अनुभव हासिल किया है उसे मैं आने वाले दिनों में उपयोग में ले सकूं।

* पराग ने कहा में इंतजार करने को तैयार :

उन्होंने कहा, “मैं भारत के लिए ज्यादा से ज्यादा मैच जीतना चाहता हूं. मैंने अभी अपनी टीम को एक या दो मैच जिताए हैं, लेकिन ये काफी नहीं है. अगर मैं अपनी टीम को छह-साथ मैच जिता सकता हूं तब मेरे प्रदर्शन को नोटिस किया जाएगा. अगर मैं टीम इंडिया के संभावितों में शामिल हुआ तो मुझे पसंद नहीं आएगा क्योंकि मैं अभी डिजर्व नहीं करता हूं. आने वाले सीजन में मैं ज्यादा से ज्यादा मैच जीतना चाहता हूं. इससे मुझे आत्मविश्वास मिलेगा. पराग 2018 में अंडर-19 विश्व कप में जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे. उनका कहना है कि वह टीम इंडिया के बुलावे के लिए इंतजार करने को तैयार हैं।

* सीखने को मिला काफी कुछ :

20 साल के पराग का हालांकि मानना है कि वह इस समय काफी कुछ सीख रहे हैं. इस बल्लेबाज ने अधिकतर मैचों में नंबर-6 और नंबर-7 पर बल्लेबाजी की थी. पराग ने स्पोर्ट्स तक से बात करते हुए कहा, “मैं काफी कुछ सीख रहा हूं. नंबर-6 और नंबर-7 पर बल्लेबाजी करना आसान नहीं है. लोगों को लगता है कि आप आते हैं और चौके, छक्के मार देते हैं. कोई टेंशन नहीं रहती. लेकिन ये ऐसे काम नहीं करता. मैंने कुछ अच्छी पारियां खेलीं और मुझे लगता है कि मैं निश्चित तौर पर बेहतर कर सकता था. लेकिन जैसा मैंने कहा, काफी कुछ सीखने को है।

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