रोजर फेडरर और रफेल नडाल टेनिस के दो महारथियों ने एक-दूसरे के साथ में बैठकर हाथ पकड़कर रोते हुए लोगों को एक और अविस्मरणीय पल दिया जिसे शायद ही कोई भविष्य में भूला पायेगा। टेनिस कोर्ट पर दोनों हमेशा बड़े प्रतिद्वंद्वी रहे हैं और एक-दूसरे को हराने के लिए कई रणनीति बनाते रहे हैं, लेकिन जब ये दोनों एक साथ रोने लगे तो लगा ही नहीं की ये कभी प्रतिद्वंद्वी रहे होंगे।

स्विट्जरलैंड के इस स्टार खिलाड़ी ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि वह लेवर कप के बाद टेनिस से संन्यास ले लेंगे। इसके बाद उन्होंने स्पष्ट किया कि डबल्स मैच उनका आखिरी मैच होगा। 41 वर्षीय फेडरर ने शुक्रवार की देर रात को अपने चमकदार करियर को अलविदा कहा। लंदन के ओ टू एरेना में लगभग एक भी आंख ऐसी नहीं थी जो नम नहीं थी जहां फेडरर ने लेवर कप के दौरान टेनिस के खेल से अश्रुपूर्ण विदाई ली।

यह अविस्मरणीय और भावनात्मक क्षण था। जो खिलाड़ी फौलाद के बने प्रतीत होते थे वे भावनाओं में पिघलते हुए नजर आ रहे थे। कोई संकोच नहीं था, कोई शर्म नहीं थी।

इसमें कोई संदेह नहीं कि ये दोनों टेनिस कोर्ट पर कदम रखने वाले सबसे कड़े प्रतिद्वंद्वी रहे जिन्होंने खेल को फिर से परिभाषित किया। उन्होंने दिखाया कि मानव शरीर को कितना मजबूत किया जा सकता है और क्या हासिल किया जा सकता है। और इसके बावजूद उन्होंने दिखाया कि उनके फौलादी शरीर के अंदर उनके पास बच्चों जैसा दिल है जो जीत के उत्साह और हार की पीड़ा से कहीं अधिक चीजें समझता है।

यह ऐसा ही स्वर्णिम अवसर था। जब रोज़र फेडरर अपना आखिरी मैच खेलने के बाद अपने साथियों, अपने प्रशंसकों और परिवार का शुक्रिया अदा करने लगे तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े और फिर वह जोर-जोर से रोने लगे। यह अविस्मरणीय क्षण था, आखिर फेडरर भी इंसान ही हैं।


उन्होंने दिखाया कि खेल के मैदान में कड़े प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद आप अपने प्रतिद्वंद्वियों के प्रति सम्मानपूर्ण रह सकते हैं। यह एक प्रेरक मानवीय पहलू है जो फेडरर और नडाल को आज की दुनिया में एक अलग मुकाम पर ले जाता है जब आक्रामकता की आड़ में दूसरे का अपमान करना फैशन बन गया है। उन्होंने अपने हाथ में रैकेट लेकर जो किया वह हमेशा नवोदित खिलाडि़यों के लिए बहुमूल्य शिक्षा रहेगी। उनका सार्वजनिक आचरण और जिस तरह से उन्होंने खुद को आगे बढ़ाया, वह बहुमूल्य और अनुकरणीय है। रोजर फेडरर की कमी खलेगी।

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