महानतम भारतीय बल्लेबाजों में से दो जिन्होंने बेहद ही शानदार खेल खेला है, सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली इतिहास में महान क्रिकेटरों में हमेशा गिने जाएंगे। जहां तेंदुलकर सर्वकालिक महान बने हुए हैं, वहीं कोहली मास्टर ब्लास्टर की वीरता का अनुकरण करने के सबसे करीब आ गए हैं।

दिल्ली के 33 वर्षीय कोहली की तुलना अक्सर तेंदुलकर से की जाती है, और की भी क्यों ना जाए, उन्हें सचिन के रिकॉर्ड को पार करने के लिए केवल छह और एकदिवसीय शतकों की आवश्यकता है।

जब कोहली पहली बार भारत के लिए खेले, तो वे सिर्फ 19 साल के थे तब किसी ने ये भविष्यवाणी नहीं की थी कि उनकी तुलना सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में से एक तेंदुलकरसे की जाएगी, लेकिन उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और वर्षों से दृढ़ संकल्प के साथ यह दर्जा अर्जित किया है।

एक युवा खिलाड़ी के रूप में भी, कोहली को हमेशा खुद पर विश्वास था, और उन्हें लगा कि वह तेंदुलकर के रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं। हाल ही में एक साक्षात्कार में, ओकले में स्पोर्ट्स मार्केटिंग के प्रमुख अश्विन कृष्णन ने बताया कि कैसे वह एक युवा विराट कोहली से मिले, जिन्होंने कहा कि वह कम से कम एकदिवसीय प्रारूप में तेंदुलकर के रिकॉर्ड की बराबरी कर सकते हैं।

जेमी ऑल्टर्स ग्लांस शो, द अल्टरनेट व्यू पर बोलते हुए, कृष्णन ने कहा, "विराट कोहली का एक दिवसीय रिकॉर्ड अभूतपूर्व है। मैं आपको एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ। 2013 में, हम ओकले के लिए विराट को LA में साइन करने गए थे। हम वहाँ बैठे थे। विराट अपने मैनेजर बंटी के साथ आए थे और मैं मुंबई से आया था।

उन्होंने आगे कहा, "मैं चैंपियंस लीग कर रहा था और उसे साइन करने के लिए नीचे गया था। वहां बैठे, 24 वर्षीय कोहली ने, 9 एकदिवसीय शतकों के साथ कहा, 'वन-डे में तोमैं पाजी (सचिन) को पकड़ लूंगा। पाजी के 49 शतक थे।"


कृष्णन ने आगे कहा कि कोहली की चल रही मंदी सिर्फ उनके आउट ऑफ फॉर्म के कारण नहीं है, बल्कि उनका दिमाग सही जगह पर नहीं है, और एक बार जब वह अपना गोल्डन टच पा लेते हैं, तो उनके बल्ले से रन निकलते रहेंगे।

इसलिए जब कोई कहता है कि विराट कोहली फॉर्म से बाहर है, तो मैं कहता हूँ कि, 'नहीं, वह आउट ऑफ फॉर्म नहीं हैं'। बस उनका दिमाग सही जगह पर नहीं है। वह बिल्कुल विराट कोहली हैं।

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