National Games 2022: भारत के शौर्य ने मल्लखंब खेल में दर्ज की शौर्य जीत है, पिता ने कहा बहुत सोचकर रखा है नाम शौर्यजीत
शौर्य के पिता ने बहुत सोचकर ही नाम रखा...शौर्यजीत। और शौर्य ने मल्लखंब में कांस्य पदक लेकर उस नाम का मान भी रख लिया । मलखंभ एक ऐसा खेल है जिसमें संतुलन अनुशासन और नियमित अभ्यास की जरूरत होती है। शौर्यजीत ने जब ठीक से अपने पैरों पर खड़े होना सीखा, उसी समय से उनके पिता रंजीत खईरे ने तय कर लिया था कि यह तीनों ही चीजें वह शौर्यजीत को सिखाएंगे।
मूलत: बरोदरा के रहने वाले शौर्यजीत के पिता रंजीत केबल का कारोबार करते थे। उन्हें ब्लड कैंसर हो गया था। सामान्य परिवार से होने के बावजूद उनका इस खेल के प्रति बहुत लगाव था। कोच सपकाल कहते थे वह बार-बार यही कहते थे शौर्यजीत में प्रतिभा है। वह चैंपियन बन सकता है। आपका उसे तैयार कीजिए। पिछले महीने जब उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया तो वह वहां से भी यह जानकारी ले रहे थे कि नेशनल गेम्स के लिए शौर्य की तैयारी कैसे चल रही है?
जब शौर्य चार साल का हुआ तो वह उसे लेकर मलखंभ के अखाड़े में पहुंच गए। वह कई दिनों तक वह शौर्यजीत को अपने साथ लेकर जाते और अखाड़े के बाहर बैठकर खिलाड़ियों को अभ्यास करते देखते रहते। फिर एक दिन वह शौर्यजीत को लेकर कोच जीत सपकाल के पास पहुंचे और शौर्यजीत का हाथ उनके हाथों में थमा दिया। तब से लेकर अब तक शौर्यजीत उनका हाथ पकड़कर ही आगे बढ़ रहे हैं।
पिता की चिता को अग्नि देने के बाद वह नेशनल गेम्स में भाग लेने पहुंचा। इकलौता बेटा होने की वजह से खेल के बीच से ही उसे एक दिन के लिए श्राद्ध में भाग लेने जाना पड़ा। दूसरे ही दिन वापस आकर उसने मैच में भाग लिया और कांस्य पदक जीता। यह उपलब्धि इसलिए भी बड़ी है क्योंकि स्पर्धा में भाग लेने वाले सभी खिलाड़ी उससे उम्र और अनुभव में बड़े हैं। शौर्यजीत कहते हैं वह विश्व चैंपियन बनना चाहते हैं और देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना चाहते हैं।
क्या है मल्लखंब
यह एक प्राचीन खेल है, जिसे पहली बार नेशनल गेम्स में शामिल किया गया है। इसमें खिलाड़ी रस्सी के बंधे लकड़ी के खंभे पर अपने स्टंट करता है। वह इस स्तंभ पर योग, जिम्नास्टिक और कुश्ती की मुद्राएं करते हैं। इसका नाम दो शब्दों का मेल है। पहला शब्द मल्ल का अर्थ है पहलवान, दूसरा खंब यानी स्तंभ। वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश ने इस खेल को राज्य खेल का दर्जा दिया था।