अनुभवी विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक ने कहा कि रवि शास्त्री खिलाड़ियों को विशेष चीजें हासिल करने के लिए प्रेरित करते थे, लेकिन भारत के मुख्य कोच के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान असफलता के लिए उनमें बहुत कम सहनशीलता थी। 37 वर्षीय ने भारत के कोच के रूप में शास्त्री के कार्यकाल के दौरान छिटपुट रूप से खेला था, खासकर 2019 विश्व कप के दौरान। शास्त्री-कोहली का कार्यकाल भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छा था, लेकिन अक्सर कुछ खिलाड़ियों के लिए खड़े नहीं होने के लिए दोनों की आलोचना की जाती थी।

कार्तिक ने कहा, ‘रवि शास्त्री ऐसे खिलाड़ी को नहीं बर्दाश्त कर पाते थे, जो एक निश्चित गति से बल्लेबाजी नहीं करता था या ऐसा खिलाड़ी जो नेट्स पर तो अलग तरह से प्रैक्टिस करते थे और मैच में बिल्कुल ही अलग अंदाज में बल्लेबाजी करते. उन्हें यह बिल्कुल पसंद नहीं था. शास्त्री को अच्छे से पता था कि वो टीम से क्या चाहते हैं. लेकिन, असफलताओं को लेकर उनकी सहनशीलता बहुत कम थी. वो हमेशा खिलाड़ियों को बेहतर करने के लिए प्रेरित करते रहते थे.’

ज्यादातर मौकों पर कोच के रूप में शास्त्री टीम के लिए बुराई मोल लेने को तैयार रहे थे. लेकिन, कई मौके ऐसे भी आए, जब उन्होंने किसी एक खिलाड़ी को लेकर अपनी नाखुशी या निराशा सार्वजनिक तौर पर जाहिर की. 2018 में, शास्त्री ने विकेट के बीच खराब दौड़ने के लिए चेतेश्वर पुजारा की खुले तौर पर आलोचना करते हुए कहा था कि वह नहीं चाहते कि वह ‘उसेन बोल्ट’ बनें. 2019 में, शास्त्री ने ऋषभ पंत के खराब शॉट खेलकर आउट होने पर भी खुलकर नाराजगी जाहिर की थी. तब उन्होंने कहा था कि अगर पंत अपनी गलतियों से नहीं सीखेंगे, तो उन्हें इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा.

शास्त्री के पास एक सफल कोचिंग कार्यकाल था क्योंकि उनके तहत भारत ने ऑस्ट्रेलिया की धरती पर दो बार टेस्ट सीरीज़ जीत का दावा किया, इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज़ 2-2 से ड्रॉ की और विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भी प्रवेश किया।

Related News