कांग्रेस पार्टी को अब मल्लिकार्जुन खरगे के रूप में न्य अध्यक्ष मिल गया है। सीताराम केसरी के बाद से करीब ढाई दशक बाद पार्टी की कमान गांधी परिवार से किसी के हाथ में गई है। प्रश्न केवल नए अध्यक्ष का नहीं है। खरगे के चयन के बाद अब सबसे बड़ी चुनौती ये है कि क्या वह पार्टी का सफलतापूर्वक नेतृत्व कर पाएंगे?


गांधी परिवार से उनकी करीबी और परिवार के प्रति निष्ठा कोई छिपा हुआ तथ्य नहीं है। ऐसे में यह प्रश्न स्वाभाविक भी है कि वास्तव में खरगे पार्टी को कैसे नई दिशा देंगे? कांग्रेस खरगे के समक्ष पांच ब रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष मल्लिकार्जुन बड़ी चुनौतियां हैं, जिनका उन्हें सामना करना पड़ेगा। अध्यक्ष के रूप में उनकी सफलता इन चुनौतियों से निपटने में उनकी निपुणता से ही सिद्ध होगी।

कुनबे को एक रखने की जरूरत
हाल के वर्षों में पार्टी ने गुलाम नबी आजाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, कुलदीप बिश्नोई और आरपीएन सिंह समेत कई नेताओं का साथ खोया है। पार्टी कैसे अपने सक्षम लोगों को प्रबंधित करने में विफल रही है, ये नाम उसका उदाहरण हैं। इस सूची में और नाम न जुड़ने पाएं, यह खरगे के लिए बड़ी चुनौती होगी।

देना होगा भरोसेमंद नेतृत्व
अध्यक्ष पद से राहुल के इस्तीफा देने और सोनिया के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी में एक नेतृत्व का असमंजस दिखा है। कई मामलों में शिकायतें आने के बाद भी शीर्ष नेतृत्व की तरफ से जरूरी कदम नहीं उठाए जाने की बात भी सामने आती रही है। खरगे को इन कमियों को दूर करते हुए पार्टी नेताओं में भरोसा पैदा करना होगा।

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