पूरा भारतवर्ष गणतंत्र दिवस की तैयारियों में जुटा हुआ है। ये बात हम सभी जानते हैं कि 26 जनवरी को हमारा संविधान लागू हुआ था इसलिए इसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर हमारा संविधान 26 जनवरी को ही क्यों लागू हुआ था? भारत का 26 जनवरी से एक ऐतिहासिक रिश्ता है बल्कि हमारे संविधान को भी 26 जनवरी के दिन इसलिए लागू किया गया। इसके पीछे की कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

जब15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली तब देश के पास अपना संप्रभु संविधान नहीं था। भारत की शासन व्यवस्था अबतक भारत सरकार अधिनियम 1935 पर आधारित थी।

इसी के लिए 29 अगस्त 1947 को डॉ. बीआर अंबेडकर के नेतृत्व में एक प्रारूप कमेटी का गठन किया गया। इस प्रारूप कमेटी ने 26 नवंबर 1949 को लिखित संविधान को राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सौंप दिया। उस संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इसलिए हम 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।



26 जनवरी 1949 वह खास दिन बना जब लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ और पहली बार भारत को पूर्ण गणराज्य बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया। इससे पहले तक भारतीयों की मांग सुशासन या स्वराज की थी। लेकिन 26 जनवरी 1949 के इस अधिवेशन के बाद भारतीय नेताओं ने अपना मत बदल लिया और पूर्ण स्वराज्य की मांग करने लगे। इस खास दिन की याद में 26 जनवरी के दिन भारतीय संविधान को लागू किया जिसके हम इसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।

संविधान के लागू होने के बाद इसके निर्माताओं का ये विचार था कि इस खास मौके को किसी ऐसे अवसर पर मनाया जाए जिसका संबंध पहले से ही राष्ट्रीय गौरव से हो। सबने मिलकर फैसला किया कि ‘पूर्ण स्वराज दिवस’ यानी 26 जनवरी के दिन ही गणतंत्र दिवस मनाया जाए। इसी दिन सन् 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था।

णतंत्र दिवस के दिन देशवासी स्वतंत्रता सेनानियों व वीर योद्धाओं को याद करते हैं और भारत की शान तिरंगा फहराते हैं। इस दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है। रिपब्लिक डे पर देश में राष्ट्रीय अवकाश घोषित है।

इस खास मौके पर दिल्ली के राजपथ पर भव्य परेड और झांकियों का आयोजन किया जाता है। इसका समापन 29 जनवरी को बीटिंग द रीट्रीट सेरेमनी के साथ होता है।

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