भारतीय सेना ने उन्हें 1959 में पहली बार कुत्तों को सेना में शामिल करना शुरू किया और तभी से लेकर हर बार ये सेना के लिए फायदेमंद साबित हुए है। भारतीय सेना के कुत्तों ने कई बार कई पुरस्कार जीते हैं।

भारतीय सेना में शामिल कुत्तों को विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए अत्यधिक प्रशिक्षित किया जाता है। वे आतंकवाद विरोधी अभियानों में वे पैदल सेना गश्त इकाइयों का हिस्सा होते हैं तो बम और इत्यादि चीज़ों का पता लगाते हैं।

इन कुत्तो की सेवाएं 8 से 10 वर्षों की होती है। इसके बाद इन कुत्तों को मार दिया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है?

यह कदम सुरक्षा कारणों से उठाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर रिटायर कुत्ता किसी आतंकवादी या दुश्मन के हाथ लगा तो देश की सुरक्षा से खतरा हो सकता है। वह उन ठिकानों का पता भी दुशमन को बता सकता है जिनकी जानकारी नहीं देनी है।

जानवरों के अधिकार के लिए काम करने वाले समूहों के अनुरोध पर सरकार ने अब इन कुत्तों को मारना बंद कर दिया है। अब सेना खुद इन रिटायर कुत्तों की देखभाल करती है।

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