इंटरनेट डेस्क| लोकसभा चुनाव-2019 को लेकर अभी से पूरे देश की राजनीतिक पार्टियों में सियासी हलचल तेज हो गई है। 80 लोकसभा सीटों वाली यूपी में सपा-बसपा गठबंधन ऐलान के बाद भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी होने वाली है, इसके लिए बीजेपी ने अभी से चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। हांलाकि लोकसभा चुनाव-2019 में पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार को हराना बेहद मुश्किल है, बावजूद इसके विपक्ष के लिए सबसे मुश्किल काम है पीएम पद के लिए चुनावी चेहरे का निर्णय करना।

जी हां, कांग्रेस की तुलना में कुछ क्षेत्रीय पार्टियों के क्षत्रप खुद को बतौर पीएम पेश करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। शायद यही विपक्ष की सबसे बड़ी कमजोरी साबित होने वाली है।

राहुल गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी ने मिशन-2019 में बतौर पीएम उम्मीदवार प्रोजेक्ट किया है। इतना ही नहीं राहुल गांधी मंच से भी खुद के लिए पीएम पद की दावेदारी जता चुके हैं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि विपक्ष में मौजूद कई बड़े राजनेता राहुल गांधी की अगुवाई में सरकार बनाने को लेकर तैयार नहीं होंगे। लोकसभा चुनाव 2019 में विपक्षी एकता के लिए यही सबसे बड़ी बाधा है।

मायावती

बसपा मुखिया मायावती ने मिशन-2019 को लेकर सपा-गठबंधन का ऐलान कर दिया है। हांलाकि अभी सीटों के बंटवारे की बात सुनिश्चित नहीं हुई है। महज 19 विधायकों वाली पार्टी बसपा का जनाधार लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान मोदी लहर के चलते दरक गया था। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि यूपी में बसपा के परंपरागत वोट में कमी नहीं आई है। समाजवादी पार्टी भी इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि बिना बसपा के समर्थन के पीएम मोदी के मिशन-2019 को यूपी में रोकना नामुमकिन है।

अभी हाल में ही मायावती ने कर्नाटक जनता दल (सेक्यूलर) की एक रैली में शिरकत की है। मंच पर मौजूद नेताओं ने मायावती को पीएम पद का सबसे मजबूत दावेदार बता दिया। इन नेताओं ने कहा कि मायावती ही एक ऐसी नेता हैं, जो गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई नेताओं को अपने साथ मिला सकती हैं।

अखिलेश यादव

सपा मुखिया अखिलेश यादव बयान दे चुके हैं कि 2019 लोकसभा चुनाव के बाद ही पीएम पद के लिए निर्णय साफ हो सकेगा। मतलब साफ है कि सपा और बसपा दोनों ही राहुल गांधी को पीएम पद का दावेदार मानने से इनकार कर रहे हैं।

ममता बनर्जी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पश्चिमी बंगाल में बीजेपी को हर बार शिकस्त देती आई हैं। लेकिन पश्चिमी बंगाल में 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी इस बार पहले से ज्यादा सावधान है। बेदाग छवि वाली ममता बनर्जी मिशन-2019 में चुनावी चेहरा होंगी, इस बात पर अभी संदेह है। ममता बनर्जी इस बात को अच्छी तरह से जानती हैं कि कांग्रेस राहुल गांधी के सामने पीएम पद के लिए उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेगी। ऐसे में वह कांग्रेस और भाजपा के विरूद्ध थर्ड फ्रंट का समर्थन हासिल करने में जुटी हुई है।

नीतीश कुमार

नीतीश कुमार ने अभी हाल में ही बयान दिया है कि वह विपक्ष की ओर पीएम पद का चेहरा नहीं होंगे। वहीं बिहार की सबसे बड़ी पार्टी राजद के नेता तेजस्वी यादव भले ही लोकसभा चुनाव-2019 में कुछ ज्यादा सीटें हासिल कर लें लेकिन प्रधानमंत्री पद उनके लिए दूर की कौड़ी है।

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